पहले ज्योति, अब शिवम… 29 दिन में 2 छात्रों के सुसाइड; SHARDA यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर उठ रहे सवाल

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में शारदा यूनिवर्सिटी है. हर साल हजारों बच्चे अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने की चाहते में यहां पढ़ने आते हैं. इनमें से कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर, वहीं कई बच्चे लॉ, आर्किटेक्ट और मैनेजमेंट प्रोफेशनल बनने के सपनों के साथ आते हैं. लेकिन महज 29 दिनों के भीतर दो छात्रों की आत्महत्या ने यूनिवर्सिटी की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. पहली घटना 18 जुलाई को हुई, जब बीडीएस (BDS) सेकेंड ईयर की छात्रा ज्योति जांगड़ा ने आत्महत्या कर ली. इसके ठीक 29 दिन बाद, 16 अगस्त को बीटेक (B.Tech) के छात्र शिवम कुमार ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी.

ज्योति और शिवम दोनों ने ही जान देने से पहले कथित सुसाइड नोट छोड़े. ज्योति के कथित सुसाइड नोट में दो यूनिवर्सिटी की फैकल्टी सदस्यों पर मानसिक उत्पीड़न और अपमान करने का आरोप लगाया था. इस मामले में पुलिस ने 6 लोगों का नामजद किया था. इसके साथ ही दो फैकल्टी को गिरफ्तार भी किया था.वहीं, शिवम के परिजन ने भी यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं.

क्या है ज्योति जांगड़ा का मामला?

18 जुलाई, शुक्रवार रात को ज्योति का शव उसके हॉस्टल के कमरे से मिला था. इसके बाद मामले की जांच के लिए दो टीमों का गठन किया गया. पुलिस ने ज्योति के कमरे से उसका मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट और दो डायरियां बरामद कीं. इसके साथ ही पुलिस को ज्योति के रूम से सुसाइड नोट भी मिला. उसके कॉल रिकॉर्ड और सोशल मीडिया पर हुई बातचीत की भी जांच की गई.

हरियाणा के गुरुग्राम की रहने वाली ज्योति के कथित सुसाइड नोट में साफतौर पर दो फैकल्टी पर आरोप लगाते हुए लिखा गया था, “महिंदर सर और शैरी मैम मेरी मौत के लिए जिम्मेदार हैं. मैं चाहती हूं कि वह सलाखों के पीछे जाएं. उन्होंने मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. उन्होंने मेरी बेइज्जती की. मैं उनकी वजह से लंबे समय तक तनाव में रही. मैं चाहती हूं कि उन्हें भी यही सब सहना पड़े. मुझे माफ करना. मैं अब ऐसे और नहीं जी सकती.

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ज्योति के दोस्तों ने बताई टॉर्चर की बात

ज्योति के दोस्तों ने बताया था कि पुलिस को जो डायरी मिली थीं. उसमें ज्योति ने अपने साथ हुए टॉर्चर की पूरी दास्तां बयां की हुई थी. पुलिस ने जब डायरी को पढ़ा तो उसमें ज्योति ने लिखा था कि एक प्रोफेसर ने उसके लंबे बालों को लेकर उसे डांटा था. कहा था कि इन्हें कटवाओ. ज्योति ने जब उनकी बात भी मान ली थी. ज्योति के दोस्तों ने बताया- प्रोफेसर ज्योति को अक्सर ताने मारते थे. वो तरह-तरह से उसे प्रताड़ित करते थे. इतना टॉर्चर कोई कैसे ही सह सकता था?

ज्योति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी गंभीर चिंता जताई थी और यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन से जवाब भी मांगा गया था. यही नहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं ने न्यायिक जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की थी.वहीं यूनिवर्सिटी ने आरोपी डीन, HOD और अन्य फैकल्टी को सस्पेंड कर दिया था. पुलिस ने एक्शन लेते हुए दोनों प्रोफेसर महिंदर और शैरी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. उन पर अभद्रता, उत्पीड़न, आत्महत्या के लिए उकसाने जैसी धाराधों में केस दर्ज किया गया था.

बीटेक के छात्र शिवम कुमार डे का मामला

ज्योति जांगड़ा केस के ठीक 29 दिन बाद, 16 अगस्त को बीटेक (कंप्यूटर साइंस) के छात्र शिवम कुमार डे ने हॉस्टल में फांसी लगाकर जान दे दीशिवम कुमार डे का शव उनके होस्टल के रूम में मिलापुलिस को कमरे से मिला सुसाइड नोट बताता है कि शिवम ने किसी पर आरोप नहीं लगाया, बल्कि खुद को जिम्मेदार ठहरायाउन्होंने परिवार से माफी मांगी और कहा है कि वह यूजलेस हैं. यूनिवर्सिटी से फीस लौटाने की गुजारिश की है कि वह उनकी सारी फीस उनके परिजनों को लौटा दें. क्योंकि मैंने अपने सेकंड ईयर के बाद कभी कॉलेज में एडमिशन नहीं लिया.

हालांकि, शिवम ने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत का जिम्मेदार और किसी को नहीं बताया और लिखा कि यह फैसला उन्होंने खुद लिया है, लेकिन शिवम ने फीस वापसी की मांग के साथ एजुकेशन सिस्टम पर सवाल उठाए और लिखा कि इस एजुकेशन सिस्टम के लिए वह सही नहीं हैं. अगर देश को महान बनना है तो उन्हें सही एजुकेशन सिस्टम शुरू करना होगा. इस केस की जांच पुलिस कर रही है. अभी तक किसी पर कोई केस या FIR दर्ज नहीं की गई है.

शिवम के मामले में यूनिवर्सिटी ने क्या कहा?

शिवम बिहार के मधुबनी के रहने वाले थे. रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी का कहना है कि शिवम का CGPA थर्ड ईयर में प्रमोशन के लिए जरूरी 5.0 से कम था. इसी वजह से उसे सुधार का मौका दिया गया. यूनिवर्सिटी ने उसे स्पेशल एग्जाम देने का विकल्प और सिर्फ 40 प्रतिशत फीस पर दोबारा सेकंड ईयर में एडमिशन लेने का ऑफर दिया था, लेकिन शिवम ने दोबारा री-एडमिशन नहीं कराया.

यूनिवर्सिटी के मुताबिक, स्पेशल एग्जाम का मौका देने के बावजूद जब शिवम (minimum standard) पूरे नहीं कर पाए तो पॉलिसी के मुताबिक उन्हें सिर्फ 40 प्रतिशत फीस पर दोबारा सेकंड ईयर में एडमिशन का विकल्प दिया गया. फीस यूनिवर्सिटी अकाउंट में जमा भी हो गई थी, लेकिन शिवम ने 2024-25 सेशन में न तो रि-रजिस्ट्रेशन कराया और न ही क्लासेस अटेंड कीं. इसके बावजूद, उनके टीचर लगातार संपर्क में बने रहे और उन्हें इंटर्नशिप के साथ-साथ बाकी एक्टिविटी में शामिल करने की कोशिश करते रहे.

शिवम डे के पिता ने उठाए ये सवाल

इसको लेकर शिवम के पिता कार्तिक डे ने कहा कि शिवम 2 अगस्त को यूनिवर्सिटी जाने के लिए घर से निकला था. उन्होंने कहा कि हम हाल ही में वैष्णो देवी की यात्रा पर गए थे. हमें इस तरह का कोई भी शक नहीं हुआ था. शिवम के पिता ने सवाल खड़ा किया कि अगर शिवम कॉलेज नहीं आ रहा था तो हॉस्टल को उन्हें जानकारी देनी चाहिए थी. शिवम कॉलेज नहीं जा रहा था, लेकिन फीस समय से ले जा रही थी.

18 जुलाई को एक मौत और अब 16 अगस्त को एक और केस… एक महीने के अंदर-अंदर इन दोनों घटनाओं ने शारदा यूनिवर्सिटी की व्यवस्थाओं को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. छात्र संगठन और परिजन कॉलेज मैनेजमेंट की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं. जहां ज्योति ने फैकल्टी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया. वहीं शिवम के परिजनों ने भी यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगाए.

ऐसे में यूनिवर्सिटी पर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि जब शिवम करीब डेढ़ साल से कॉलेज नहीं जा रहा था तो इसकी जानकारी उसके परिजनों को क्यों नहीं दी गई? इसके साथ ही ये भी सवाल उठता है कि क्या कॉलेज प्रबंधन को शिवम की उपस्थिति की जानकारी नहीं थीकैंपस के हॉस्टल में छात्रों की सुरक्षा और निगरानी के इंतज़ाम को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. एक महीने पहले ही ज्योति ने हॉस्टल में आत्महत्या की थी. इसके बाद यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया?

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