‘वोट चोरी के झूठे आरोपों से चुनाव आयोग नहीं डरता…’, बोले मुख्य चुनाव आयुक्त

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि इलेक्शन कमीशन वोट चोरी के झूठे आरोपों से नहीं डरता है. चुनाव आयोग ने मतदाताओं के नाम संदेश देते हुए कहा कि संविधान के अनुरूप देश का हर नागरिक मतदाता बनकर मतदान अवश्य करे. साथ ही कहा कि राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेशन चुनाव आयोग ही करता है, लिहाजा हमारी नजर में न कोई पक्ष है, न विपक्ष है, सभी समकक्ष हैं.

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि ऐसे मिथ्या आरोपों से न तो आयोग डरता है, न ही वोटर. चुनाव आयोग निडरता के साथ और वोटरों के साथ बिना भेदभाव के इन राजनीति करने वालों से निष्प्रभावी और निडर होकर काम करता रहेगा. चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर विपक्षी दलों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि 28370 मतदाताओं ने अब तक अपने दावे और आपत्तियां दर्ज कराई हैं. इसके लिए एक अगस्त से एक सितंबर तक का समय निर्धारित है.

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि बीएलओ और राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) मिलकर त्रुटियों को दूर करने के लिए समुचित फॉर्म भरकर प्रक्रिया आगे बढ़ाएं. EC की टीमें इस कार्य के लिए दिन-रात काम कर रही हैं. चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि जिला अध्यक्षों ने बीएलए नामित किए हैं, लेकिन राज्य और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को या तो इसकी जानकारी नहीं है या वे जानबूझकर जनता को गुमराह कर रहे हैं.

दोहरे मतदान के आरोपों पर EC सख्त 

मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि भारत के संविधान के अनुसार केवल भारतीय नागरिक ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं. उन्होंने कहा कि विदेशी नागरिकों को मतदान का अधिकार नहीं है. उन्होंने बताया कि यदि किसी अन्य देश के व्यक्ति ने गलती से या जानबूझकर नामांकन (enumeration) फॉर्म भर दिया है, तो एसआईआर प्रक्रिया के दौरान उसे अपनी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए दस्तावेज़ जमा करने होंगे.उन्होंने यह भी कहा कि जांच के बाद यदि पाया गया कि वह भारतीय नागरिक नहीं है, तो उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा.

‘वोट चोरी लोगों को गुमराह करने का कुत्सित प्रयास’

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव आयोग की साख पर कोई सवालिया निशान खड़ा नहीं किया जा सकता. क्योंकि बिहार के साढ़े सात करोड़ मतदाता हमारे साथ खड़े हैं. उन्होंने फॉर्म भरकर अपनी भागीदारी दर्ज कराई है. आयोग ने ‘वोट चोरी’ जैसे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह लोगों को गुमराह करने का कुत्सित प्रयास है और संविधान का उल्लंघन है. साथ ही, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वोटरों की अनुमति के बिना उनकी तस्वीरें दिखाना अनुचित है और मशीन रीडेबल मतदाता सूची को सार्वजनिक करना वोटरों की निजता का हनन है.

‘चुनाव आयोग वोटर्स के साथ चट्टान की तरह खड़ा’

बयान में कहा गया कि जब चुनाव आयोग को निशाना बनाकर भारत के मतदाताओं पर राजनीति की जा रही है, तो आयोग यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह बिना किसी भेदभाव के गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा और सभी वर्गों और धर्मों के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा  है और आगे भी खड़ा रहेगा. चुनाव आयोग ने बताया कि लोकसभा चुनावों की प्रक्रिया में एक करोड़ से अधिक कर्मचारी, 10 लाख से ज्यादा बूथ लेवल एजेंट और 20 लाख से अधिक प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट शामिल रहते हैं. इतने पारदर्शी माहौल में किसी वोट चोरी करना संभव ही नहीं है.

‘वोटर्स की तस्वीर बिना अनुमति मीडिया में दिखाई गईं’

हाल के दिनों में कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना अनुमति मीडिया में दिखाई गईं. इस पर आयोग ने आपत्ति जताते हुए कहा कि क्या आयोग किसी मतदाता का, उनकी माताओं, बहुओं या बेटियों का सीसीटीवी वीडियो सार्वजनिक करे? यह सरासर अनुचित है. वोट केवल वही डालते हैं, जिनके नाम मतदाता सूची में होते हैं. चुनाव आयोग ने आगे कहा कि बिहार में एसआईआर (SIR) प्रक्रिया शुरू की गई है. इसके तहत 1.6 लाख बूथ लेवल एजेंटों (बीएलए) ने मसौदा सूची तैयार की है. हर बूथ पर बीएलए ने इस मसौदे को हस्ताक्षर कर सत्यापित किया है. अब तक कुल 28370 दावे और आपत्तियां मतदाताओं द्वारा दर्ज कराई गई हैं.

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