राष्ट्रीय राजमार्गों पर आवारा मवेशियों की वजह से बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) द्वारा उठाए गए कदम इस समस्या के समाधान के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
खंडपीठ मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल ने रतनपुर–केंदा मार्ग (एनएच 45) पर एक अज्ञात वाहन की चपेट में आने से 16 लावारिस मवेशियों की मौत की घटना पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। मुख्य सचिव द्वारा दायर हलफनामे में बताया गया कि घटना के बाद संयुक्त निगरानी दल गठित किए गए हैं, 2,000 से अधिक मवेशियों पर रेडियम पट्टी लगाई गई है, नसबंदी और कान टैगिंग अभियान चलाए जा रहे हैं। साथ ही आश्रय स्थल की व्यवस्था और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान भी की गई है।
NHAI के निदेशक से मांगा हलफनामा
इसके बावजूद न्यायालय ने माना कि दुर्घटनाओं की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे स्पष्ट है कि अब तक किए गए उपाय पर्याप्त नहीं हैं। अदालत ने एनएचएआइ के परियोजना निदेशक को व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें बेसहारा पशुओं की रोकथाम और सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों का विवरण हो।
साथ ही न्यायालय ने एनएचएआइ को यह भी निर्देश दिए कि वह जनता को जागरूक करने के लिए सकारात्मक अभियान चलाए, ताकि वाहन चालक सतर्क रहें और न तो मानव जीवन और न ही सड़क पर बैठे पशुओं को नुकसान पहुंचे।