कैंसर के इलाज में देखी जाएगी आपकी धूम्रपान की हिस्ट्री, एम्स दिल्ली ने दो देशों के साथ मिलकर की ये स्टडी

कैंसर का इलाज बहुत मुश्किल है. इसका इलाज मुश्किल होने के साथ-साथ बहुत महंगा भी है. यही कारण है कि ज्यादातर लोग इसका सही तरीके से इलाज भी नहीं करा पाते हैं. इस कैंसर की बीमारी को लेकर एम्स दिल्ली, कनाडा स्थित मैकमास्टर यूनिवर्सिटी और फ्रांस स्थित अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (आईएआरसी) के एक्सपर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने जांच में पाया कि धूम्रपान के कारण इलाज की भावशीलता और मरीजों के जीवित रहने की दर को कम कर रहा है. इसीलिए धूम्रपान की स्थिति रिकॉर्ड करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. मतलब साफ है कि अगरआपको कैंसर है और आप सिगरेट पीते हैं तो उसी हिसाब से आपका इलाज किया जाएगा.

एक्सपर्ट ने अपनी रिसर्च में पाया है कि जो लोग धूम्रपान करते हैं. उन पर इलाज का असर कम होता है. अगर होता भी है तो ये ज्यादा समय के लिए कारगर नहीं होता है. यही कारण है कि इसकी वजह से मरीज के जिंदा रहने की दर लगातार कम हो रही है. एक्सपर्ट ने अपनी रिसर्च के बाद सलाह दी है कि कैंसर के इलाज में धूम्रपान का रिकॉर्ड करने और उसका डाटा रखा ही जाना चाहिए. ताकि इलाज उसी के हिसाब से किया जाए.

तंबाखू का लगातार सेवन करने से इलाज पर असर

एक्सपर्ट ने अपनी रिसर्च के बाद स्पष्ट किया कि धूम्रपान या तंबाकू लेने से इसका सीधा असर इलाज पर पड़ता है. उन्होंने बल दिया कि इलाज शुरू होने के पहले ही धूम्रपान का डाटा रखना चाहिए. इस रिपोर्ट को लैंसेट ऑन्कोलॉजी ने इसी महीने पब्लिश किया था. इसके साथ ही बताया गया था कि टेस्ट में सुधार होगा और इलाज का प्रभाव बढ़ेगा. ऐसा होने से लोगों के जीवित रहने की चांस ज्यादा रहेंगे.

रिसर्च में एम्स दिल्ली के डॉ. अभिषेक शंकर समेत सात लेखकों ने बताया कि उपचार के दौरान धूम्रपान की स्थिति की जानकारी मडिकल डिसीजन को इफेक्ट कर सकती है. उन्होंने तर्क दिया कि तंबाकू के उपयोग के आंकलन में आने वाली समस्याओं को दूर करने और धूम्रपान बंद करने की पहल को ऑन्कोलॉजी अनुसंधान प्रोटोकाल में शामिल करने से परीक्षण के परिणामों में सुधार देखने को मिलेगा.

दोगुना होगा दवाईयों का डोज

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