रीवा : यह कोई अजीबोगरीब फैशन स्टेटमेंट नहीं है, न ही किसी मजाक का हिस्सा। यह एक भयावह हकीकत है। रीवा में मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के फ्यूज कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारी अपने दफ्तर के अंदर भी हेलमेट पहनने को मजबूर हैं.
यह दृश्य न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि व्यवस्था पर एक कड़ा सवाल भी उठाता है.इन कर्मचारियों का कार्यस्थल कोई सामान्य ऑफिस नहीं, बल्कि एक जर्जर और खंडहर होती इमारत है, जहाँ हर पल मौत का साया मंडरा रहा है.
खतरे की दीवारें और टूटती छत इस दफ्तर की हालत इतनी खराब है कि यहाँ की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं और छत का प्लास्टर कभी भी गिर सकता है.हाल ही में, एक कर्मचारी बाल-बाल बचा जब छत का प्लास्टर अचानक नीचे आ गिरा और उसके पैर में चोट लग गई. इस घटना के बाद से ही कर्मचारियों में दहशत का माहौल है.उन्हें यह डर सता रहा है कि कब कौन अगला शिकार बन जाए.
यह कोई नई समस्या नहीं है.कर्मचारियों ने कई बार अधिकारियों से इस जर्जर इमारत की मरम्मत या इसे कहीं और शिफ्ट करने की गुहार लगाई, लेकिन हर बार उनकी शिकायतें अनसुनी कर दी गईं.जब सुरक्षा का कोई और रास्ता नहीं बचा, तो अपनी जान बचाने के लिए उन्होंने हेलमेट पहनकर काम करना शुरू कर दिया.यह उनकी बेबसी और मजबूरी की एक दर्दनाक तस्वीर है.
यह विडंबना ही है कि जो कर्मचारी एक पावर कंपनी में काम करते हैं, वे अपनी ही सुरक्षा को लेकर इतने लाचार और शक्तिहीन महसूस कर रहे हैं.यह सिर्फ एक दफ्तर की कहानी नहीं, बल्कि हमारे सरकारी तंत्र की लापरवाही और अनदेखी का एक जीता-जागता उदाहरण है, जहाँ इंसान की जान से ज्यादा अहमियत पुरानी फाइलों और बेजान दीवारों को दी जा रही है.