प्रतापपुर जनपद में तालेबंदी आंदोलन: विवादित सीईओ की नियुक्ति पर जनाक्रोश, कलेक्टर के आश्वासन के बाद खत्म हुआ धरना

सूरजपुर: आकांक्षी ब्लॉक प्रतापपुर, जिसे आदर्श जनपद के रूप में पहचाना जाना चाहिए था, सोमवार को भ्रष्टाचार और विवादित अधिकारियों की नियुक्ति के खिलाफ बड़ा आंदोलन का केंद्र बन गया. सुबह 9 बजे से ही जनपद अध्यक्ष सुखमनिया आयाम के नेतृत्व में जनपद सदस्य, सरपंच, महिला-पुरुष जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों का हुजूम जनपद पंचायत मुख्यालय पहुंचे. गुस्साए जनप्रतिनिधियों ने मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया और जोरदार नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए.

“सीईओ हटाओ, प्रतापपुर बचाओ” और “भ्रष्टाचार बंद करो” की गूंज से पूरा परिसर थर्राने लगा. महिलाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी ने इस आंदोलन को और अधिक जोरदार बना दिया. सोमवार का बाजार होने के कारण बड़ी संख्या में ग्रामीण और आमजन भी मौके पर पहुंचे और प्रतापपुर का पूरा माहौल आंदोलनमय हो गया.

विवाद की जड़

विवाद का कारण था प्रभारी सीईओ जय गोविंद गुप्ता की नियुक्ति. गुप्ता पर जनपद पंचायत मैनपाट में प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि गबन का गंभीर प्रकरण दर्ज है, जो इस समय उच्च न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन है. प्रतापपुर पहले ही ईडी प्रकरण में गिरफ्तार अधिकारी की नियुक्ति से शर्मसार हो चुका था और अब एक बार फिर भ्रष्टाचार से कलंकित अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपने पर जनप्रतिनिधियों का गुस्सा फूट पड़ा.

जनप्रतिनिधियों का हल्ला बोल

धरने पर बैठे जनप्रतिनिधियों ने साफ कहा कि प्रतापपुर की पहचान भ्रष्टाचार से नहीं, बल्कि पारदर्शिता और विकास से होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि गरीबों और आदिवासियों की योजनाओं में गबन करने वाले अधिकारी को प्रतापपुर जैसे आकांक्षी ब्लॉक में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. धरना-प्रदर्शन की खबर फैलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया. एसडीएम ललिता भगत, तहसीलदार और पुलिस बल मौके पर पहुंचे. घंटों तक समझाइश चलती रही, लेकिन प्रदर्शनकारी अपने रुख पर अड़े रहे. उनकी स्पष्ट मांग थी कि कलेक्टर स्वयं आश्वासन दें, तभी धरना समाप्त होगा.

कलेक्टर का आश्वासन

अंततः एसडीएम ने जनपद अध्यक्ष सुखमनिया आयाम की कलेक्टर सूरजपुर से फोन पर बातचीत कराई. कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि विवादित सीईओ जय गोविंद गुप्ता को प्रतापपुर में प्रभार नहीं दिया जाएगा और यहां पारदर्शी एवं ईमानदार अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी.

आंदोलन का समापन लेकिन चेतावनी भी

कलेक्टर की इस बात के बाद दोपहर तीन बजे धरना समाप्त हुआ. हालांकि, जनप्रतिनिधियों ने साफ चेतावनी दी कि यदि दो दिन के भीतर आश्वासन पर अमल नहीं हुआ तो आंदोलन और भी बड़ा होगा और इसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी.

राजनीतिक माहौल गरमाया

इस घटनाक्रम ने भाजपा सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. अपनी ही सरकार के आदेश की अनदेखी, विवादित अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को नजरअंदाज करने ने प्रतापपुर के राजनीतिक माहौल को पूरी तरह गरमा दिया है.

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