ओडिशा के बालासोर जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक परिवार को उनके बेटे की जगह किसी और का शव सौंप दिया गया. यह गलती ताबूत पर लगे नाम के स्टिकर में हुई गड़बड़ी के कारण हुई. जिससे परिजनों को गहरा सदमा पहुंचा. जब शिकायत की गई तो शव पहुंचाने वाली कंपनी ने अपनी गलती सुधारी लेकिन इस बीच दुखी परिवार अपने बेटे के आखिरी दर्शन के लिए तरसता रहा.
जानकारी के अनुसार राकेश शॉ (21) नामक युवक बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में सुपरवाइजर के रूप में काम कर रहा था. 15 अगस्त को राकेश की करंट लगने से दुखद मौत हो गई थी. परिवार वालों ने शव को उनके गांव, मुलिसिंग (ब्लॉक सोरो, जिला बालासोर) मंगवाने की व्यवस्था की थी.
ताबूत खोला तो मिला दूसरे का शव
परिजनों ने बताया कि राकेश के शव को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी निवासी एक अन्य मृतक के शव के साथ एक ही एंबुलेंस में भेजा गया था. दोनों ताबूतों पर नाम के स्टिकर लगे थे, लेकिन राकेश के ताबूत पर किसी और का नाम चिपका हुआ था. यही कारण था कि जब एंबुलेंस रविवार को मुलिसिंग पहुंची और परिजनों ने ताबूतखोला तो उन्हें यह देखकर झटका लगा कि शव राकेश का नहीं है.
कंपनी ने सुधारी अपनी गलती
परिजनों ने तुरंत शव लाने की व्यवस्था करने वाली कंपनी से संपर्क किया और गलती की जानकारी दी. इसके बाद कंपनी ने एंबुलेंस को, जो सिलीगुड़ी के लिए रवाना हो चुकी थी बीच रास्ते से वापस बुलाया. जब एंबुलेंस दोबारा मुलिसिंग पहुंची तो राकेश के परिजनों को राकेश का शव सौंपा गया. साथ ही पहले दिया गया गलत शव अब सिलीगुड़ी वापस भेजा गया. परिवार का आरोप है कि यह गंभीर लापरवाही केवल ताबूत पर गलत नाम वाला स्टिकर लगने के कारण हुई. यदि समय रहते गलती नहीं पकड़ी जाती, तो अंतिम संस्कार भी गलत व्यक्ति का हो सकता था.