बलरामपुर जिले के प्राथमिक शाला कंजिया में एक भयावह घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है. स्कूल के प्रधान पाठक हेरालुयस पर आरोप है कि उन्होंने दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली एक मासूम छात्रा की इस कदर पिटाई की कि उसका पैर टूट गया. बच्ची इस समय अंबिकापुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती है और शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी गहरे सदमे में है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह अमानवीय घटना उस समय हुई जब बच्ची कक्षा के दौरान अपने एक सहपाठी से बात कर रही थी. इस पर नाराज़ होकर प्रधान पाठक ने न तो कोई समझाइश दी, न ही कोई चेतावनी दी- उन्होंने सीधा बच्ची पर शारीरिक हमला कर दिया.
बर्बरता इस हद तक पहुँची कि बच्ची के पैर की हड्डी टूट गई
घटना के तुरंत बाद शिक्षकों या स्कूल स्टाफ की ओर से कोई प्राथमिक उपचार नहीं दिया गया. परिजन जब स्कूल पहुँचे, तब उन्हें बच्ची की हालत देख कर अस्पताल ले जाना पड़ा.
बच्ची को अंबिकापुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ पिछले तीन दिनों से इलाज चल रहा है. अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची के पैर में गंभीर फ्रैक्चर है और वह मानसिक रूप से भी गहरे आघात में है.
डॉक्टर का बयान,
“बच्ची बहुत डरी हुई है, वह किसी से बात नहीं कर रही है और स्कूल का नाम सुनते ही काँप जाती है.”
परिजनों और ग्रामीणों का आक्रोश
बच्ची के माता-पिता सदमे में हैं और उन्होंने दोषी शिक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की है. ग्रामीणों में भी भारी आक्रोश है. उन्होंने स्कूल के सामने प्रदर्शन कर यह सवाल उठाया है कि जब शिक्षक ही हैवान बन जाए, तो बच्चे कहाँ जाएँ?
एक ग्रामीण महिला का बयान:
“हम अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ने भेजते हैं, पिटने नहीं। यह तो सीधे-सीधे क्रूरता है. दोषी शिक्षक को जेल भेजा जाए.” छत्तीसगढ़ में बच्चों के साथ शारीरिक दंड देना कानूनन अपराध है. ऐसे मामलों में POCSO Act (2012) और Juvenile Justice Act के तहत कठोर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. यह घटना मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न की श्रेणी में आती है.
यह घटना महज़ एक बच्ची की नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की असफलता का चेहरा है. सवाल यह है कि आखिर कब तक मासूम बच्चों को स्कूल में सुरक्षा के नाम पर धोखा मिलता रहेगा?
1. आरोपी प्रधान पाठक को तत्काल निलंबित और गिरफ्तार किया जाए.
2. पीड़ित बच्ची को मानसिक और शैक्षणिक सहयोग दिया जाए.
3. स्कूलों में शारीरिक दंड पर पूर्ण प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जाए.
4. प्रशासन इस मामले में सार्वजनिक रूप से जवाबदेह बने.
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