जबलपुर: शहर में इलाज कराने पहुंचे मरीज़ों की ज़िंदगी पर अब नए ख़तरे मंडराने लगे हैं. गोटेगांव से एक गंभीर मरीज को लेकर मेडिकल अस्पताल आ रही एम्बुलेंस को बीती रात हथियारबंद गुंडों ने बायपास पर रोक लिया और चालक की जमकर पिटाई कर दी. यह गुंडागर्दी किसी आम झगड़े का हिस्सा नहीं थी, बल्कि सीधे-सीधे दबंगई थी कि, “जबलपुर इलाज कराने आना है तो स्मार्ट सिटी अस्पताल ही आना होगा, नहीं तो जिंदा नहीं बचोगे.
मेडिकल लाएं तो अंजाम होगा बुरा-
एफआईआर में दर्ज एम्बुलेंस चालक के बयान के अनुसार, तरुण और यशवंत नाम के दो हमलावर काले रंग की कार से उतरे और उसे जबरन रोककर नाम पूछा। देखते ही देखते दोनों ने डंडे और घूंसों से हमला कर दिया. पीड़ित चालक को हाथ-पैर और पीठ में गंभीर चोटें आईं। जाते-जाते आरोपियों ने खुली धमकी दी कि मेडिकल अस्पताल में मरीज लाना बंद करो, वरना अंजाम बुरा होगा.
संचालक अमित कर रहा मोनिटरिंग-
सबसे बड़ा खुलासा यह है कि पीड़ित ने हमलावरों की पहचान कर ली और बताया कि दोनों स्मार्ट सिटी अस्पताल, जबलपुर में काम करते हैं. यही नहीं, पीड़ित ने साफ तौर पर पुलिस को बताया है कि यह दबाव और हमला स्मार्ट सिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर व संचालक डॉ. अमित खरे और उनके गुर्गों के इशारे पर किया गया.
मरीज़ों की ठेकेदारी को लेकर लड़ाई-
यह घटना सिर्फ एक एम्बुलेंस चालक पर हमला नहीं बल्कि जबलपुर के स्वास्थ्य तंत्र पर सवालिया निशान है. मरीजों की जान बचाने के बजाय अगर अस्पतालों के बीच इस तरह की मरीज़ों की ठेकेदारी की लड़ाई सड़कों पर उतर आई है, तो आम जनता कहां जाएगी?