Uttar Pradesh: सरयू नदी का जलस्तर 50 सेंटीमीटर ऊपर, दर्जनों गांव डूबे, राहत इंतज़ाम नाकाफी

अयोध्या: सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है. नदी किनारे बसे दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. ग्रामीण घर छोड़कर ऊंचाई वाले स्थानों और तटबंधों पर शरण लेने को मजबूर हैं। प्रशासनिक स्तर पर राहत व बचाव कार्य शुरू तो हुआ है, लेकिन प्रभावित परिवारों का आरोप है कि ज़रूरत के मुताबिक मदद अब तक नहीं पहुंच पाई है.

हर वर्ष की तरह इस बार भी पूराबाजार, सोहावल और रुदौली तहसील के गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। पानी घुस जाने से सैकड़ों परिवार तंबू और चारपाई पर जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। खेतों में लगी फसलें कटान की चपेट में आकर नष्ट हो रही हैं। पिछले वर्ष भी जिले में 1407 हेक्टेयर कृषि भूमि और 1200 से अधिक घर प्रभावित हुए थे. इस बार हालात लगभग वैसे ही दिख रहे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन हर बार स्थायी समाधान का आश्वासन देता है लेकिन अब तक तटबंध निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ. “यदि बिलहरी से दिलासीगंज तक तटबंध बना दिया जाए तो बाढ़ की समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है,” ग्रामीणों ने कहा.

इस बार राहत केंद्र पूराबाजार, रुदौली और सोहावल में बनाए गए हैं. नावों की व्यवस्था की गई है, लेकिन पीड़ितों का कहना है कि तिरपाल, चारा और जरूरी सामान अब तक वितरित नहीं किया गया। कैथी मांझा, शुजागंज, अब्बुपुर, मुजेहना, सल्लाहपुर, सराय नासिर सहित कई गांवों में पानी भर गया है.

कैथी मांझा निवासी गुरुदत्त यादव ने बताया कि “गांव के हर घर में पानी घुस गया है. लोग चारपाई व मचान पर रहने को मजबूर हैं। नाव से लोगों को रौनाही तटबंध तक पहुंचाया जा रहा है।” वहीं राम बहादुर यादव ने कहा कि “पशुओं के लिए चारे की किल्लत सबसे बड़ी समस्या है, सरकार को पहले से भूसे का इंतजाम करना चाहिए.”

बाढ़ का असर शिक्षा पर भी पड़ा है. नाव से जान जोखिम में डालकर बच्चे स्कूल जाने को मजबूर हैं जबकि कई स्कूल बंद पड़े हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हर साल यह समस्या आती है लेकिन प्रशासनिक मशीनरी सिर्फ अस्थायी इंतजाम करती है, स्थायी समाधान आज तक नहीं हुआ.

एसडीएम रुदौली विकासधर दुबे ने बताया कि जलस्तर बढ़ा है, राहत व बचाव कार्य के लिए टीमें सक्रिय हैं. लेकिन गांवों के हालात देखकर साफ है कि बाढ़ प्रभावित परिवारों को अब भी पर्याप्त मदद नहीं मिल पाई है.

ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द स्थायी तटबंध का निर्माण कराया जाए ताकि हर साल दोहराई जाने वाली इस त्रासदी से छुटकारा मिल सके.

 

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