बलरामपुर: जिले के वाड्रफनगर से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत वितरित किए जाने वाले चने की भारी मात्रा को फाड़कर खुले बाजार में बेचा जा रहा है. यह चना सरकार द्वारा गरीब और ग्रामीण परिवारों को सस्ते दरों पर प्रदान किया जाता है, ताकि वे पोषण की मूलभूत आवश्यकताएँ पूरी कर सकें. लेकिन इस योजना की आड़ में अब एक बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हुआ है.
स्टिंग ऑपरेशन में हुआ खुलासा: निजी गोदाम बना अवैध व्यापार का केंद्र
वाड्रफनगर स्थित एक व्यापारी के जायसवाल वेयरहाउस में यह अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. वहाँ PDS के पैकेट फाड़कर उसमें से चना निकाला जा रहा है और फिर खुले बाजार में उसे व्यावसायिक लाभ के लिए बेचा जा रहा है. जहाँ सरकारी चने के बोरे फटे हुए पड़े हैं और मज़दूर उन्हें थैलियों में भरते हुए दिखाई दे रहे हैं.
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह पूरा कालाबाजारी का खेल खाद्य विभाग के कार्यालय से मात्र कुछ मीटर की दूरी पर चल रहा है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या खाद्य निरीक्षकों और संबंधित अधिकारियों को इस गोरखधंधे की भनक नहीं थी, या फिर उन्होंने जानबूझकर आंखें मूंद ली थीं?
जनता की मांग
इस गंभीर घोटाले की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए, खाद्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पाए जाने पर निलंबन व FIR दर्ज की जाए और इस तरह की कालाबाजारी की रोकथाम के लिए स्थायी निगरानी प्रणाली (Monitoring System) लागू की जाए.
पूरे जिले में PDS वितरण की ऑडिट और समीक्षा की जाए
जहाँ एक ओर सरकार गरीबों को राहत पहुँचाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसे भ्रष्टाचार के मामले इन योजनाओं की जड़ों को खोखला कर रहे हैं. यह घोटाला सिर्फ अनाज की चोरी नहीं, बल्कि आम जनता के विश्वास की भी चोरी है. अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी पारदर्शिता और गंभीरता दिखाता है. क्या यह मामला महज एक खबर बनकर रह जाएगा या दोषियों को सजा भी मिलेगी?