संजय टाइगर रिजर्व में बाघ की दर्दनाक मौत,– क्या रिपोर्टों तक सीमित रह जाएगा संरक्षण?

सीधी  : जिले के संजय टाइगर रिजर्व में एक बाघ की मौत हो गई। मंगलवार देर रात को खरबर बीट में नर बाघ टी-43 का शव की सूचना वन विभाग को मिली.बाघ की मौत से वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठे रहे हैं.बाघ की मौत किसानों की ओर से फसल बचाने के लिए बिछाए गए बिजली के तार में फंसने के कारण हुई.

 

वन विभाग ने क्षेत्र में आवाजाही पर लगाई रोक

 

वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की। तीन डॉक्टरों की टीम ने मंगलवार शाम में पहुंचकर बाघ का पोस्टमॉर्टम किया.फोरेंसिक जांच के लिए विसरा सुरक्षित किया गया.

 

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रोटोकॉल के अनुसार बाघ का अंतिम संस्कार किया गया.इसके अलावा लोगों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.इसकी सूचना वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों को नहीं दी.

 

औपचारिक कार्रवाई से नहीं होगा संरक्षण

 

संरक्षण विशेषज्ञों का कहना है कि केवल औपचारिक कार्रवाई पर्याप्त नहीं है.टाइगर रिजर्व में किसानों की ओर से बिजली के तार बिछाने की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.ग्रामीण फसल बचाने के लिए यह व्यवस्था करते हैं। वन विभाग और जिला प्रशासन की ओर से इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है.

 

संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मामला दर्ज

 

वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई है.हालांकि, अक्सर ऐसे मामलों में कार्रवाई कागजों तक ही सीमित रह जाती है.रिजर्व में वन विभाग की कमजोर निगरानी व्यवस्था के कारण यह स्थिति बनी है.

 

वही संजय टाइगर रिजर्व के क्षेत्रीय संचालक अमित दुबे ने जानकारी देते हुए बताया कि घटना की जानकारी मंगलवार के दिन सुबह लगी.इसके बाद फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और मामले की जानकारी में जुटी हुई है.

 

बाघ भारत की राष्ट्रीय धरोहर और संजय रिजर्व की पहचान हैं, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते उनकी जान पर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.

 

टी-43 की मौत ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि वन विभाग की निगरानी, गश्त और सुरक्षा व्यवस्था खोखली साबित हो रही है.अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में संजय रिजर्व की शान कहे जाने वाले बाघ केवल कागजों और रिपोर्टों में ही बचे रह जाएंगे.

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