प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश की एक नई रक्षा प्रणाली सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra) की घोषणा की थी. इसके तहत दुश्मनों के हवाई हमलों से सिर्फ बचाव ही नहीं होगा बल्कि हिटबैक भी किया जाएगा. अब खबर है कि भारत के इस प्रोजेक्ट में रूस साझेदारी कर सकता है.
रूस के सीनियर डिप्लोमैट रोमन बाबुश्किन ने कहा कि रूस को उम्मीद है कि भारत के सुदर्शन चक्र डिफेंस सिस्टम के विकास और उन्नति में रूसी उपकरण शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि हम इस समझ के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि जब इस डिफेंस सिस्टम प्रोजेक्ट की बात आती है तो रूसी उपकरण इसका हिस्सा होंगे यानी हम इसे सहयोग कर सकते हैं.
उन्होंने सैन्य और रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस के बीच मजबूत साझेदारी पर भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि रूस को भारत के लिए सैन्य मंचों और हार्डवेयर की आवश्यकताओं के लिए पसंदीदा साझेदार बताया, जिसके तहत सुदर्शन चक्र जैसी परियोजनाओं में सहयोग की संभावना को रेखांकित किया.
लेकिन इस दौरान मजेदार वाकया ये हुआ कि रोमन बाबुश्किन ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हिंदी में की. उन्होंने कहा कि शुरुआत करेंगे. श्री गणेश करेंगे. इस दौरान जब उनसे भारत के आयरन डोम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आपका मतलब सुदर्शन चक्र से है? बाबुश्किन ने रिपोर्टर से कहा कि वे हिंदी में बेहतर जवाब दे सकते हैं. सुदर्शन चक्र..
भारत पर अमेरिकी दबाव को लेकर क्या बोले?
बाबुश्किन ने भारत पर रूसी तेल खरीदने को रोकने के लिए अमेरिका के निरंतर दबाव को गलत बताते हुए कहा कि इस तरह का दृष्टिकोण और प्रतिबंध वैश्विक आर्थिक स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं. यह भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है. हमें भारत के साथ अपनी साझेदारी पर भरोसा है और हम दोनों देशों के बीच ऊर्जा संबंधों में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
उन्होंने कहा कि पश्चिमी टैरिफ और प्रतिबंधों के कारण तेल आयात की कीमतों में पांच प्रतिशत का उतार-चढ़ाव संभव है. ऐसे में उन्होंने जोर देर कहा कि भारत-रूस ऊर्जा सहयोग बढ़ता रहेगा. दरअसल अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा था कि अगर भारत रूस के कच्चे तेल की खरीद जारी रखता है तो ट्रंप प्रशासन भारत पर सेकेंडरी टैरिफ बढ़ा सकता है. हालांकि, अमेरिका ने भारत पर रूस के साथ ऊर्जा संबंधों के लिए 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, लेकिन उसने रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार चीन के खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की.