सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी संसद के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर भी देखने को मिली। लोकसभा के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परंपरा के मुताबिक सभी दलों के नेताओं को ‘टी मीटिंग’ के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन विपक्ष ने इसमें हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार संवाद की जगह टकराव का रास्ता अपना रही है, ऐसे में वे महज औपचारिकता के लिए बैठक में नहीं जाएंगे।
विपक्ष के इस रवैये पर पीएम मोदी ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी कांग्रेस अब खुद अपने युवा नेताओं से घबराने लगी है। पीएम ने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस के भीतर उभरती नई पीढ़ी को दबाने की कोशिश हो रही है, इसलिए विपक्ष किसी भी सार्थक संवाद से बच रहा है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार चाहती थी कि टी मीटिंग में सभी दल मिलकर सदन की कार्यवाही और आपसी सहयोग पर चर्चा करें। लेकिन विपक्ष ने बहिष्कार कर यह संदेश देने की कोशिश की कि वह सरकार की नीतियों और रवैये से असहमत है। कांग्रेस समेत अन्य दलों का आरोप है कि सदन में विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश हो रही है और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही।
विपक्ष के बहिष्कार के बाद भी बैठक में एनडीए और सहयोगी दलों के नेता शामिल हुए। पीएम मोदी ने वहां मौजूद नेताओं से कहा कि लोकतंत्र में संवाद ही सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने दोहराया कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष टकराव की राजनीति कर रहा है।
वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि विपक्ष का यह कदम संसद से बाहर भी सत्तापक्ष के खिलाफ संदेश देने की रणनीति का हिस्सा है। हालांकि इससे दोनों पक्षों के बीच खींचतान और बढ़ सकती है।
कुल मिलाकर, संसद सत्र के अंत में हुई यह घटना इस बात का संकेत देती है कि आने वाले दिनों में भी सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव कम होने की बजाय और तेज हो सकता है।