R Ashwin retirement reason: भारतीय स्पिन दिग्गज रविचंद्रन अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के बीच रिटायरमेंट लेने पर खुलकर बात की. अश्विन ने पूर्व कप्तान और कोच राहुल द्रविड़ के साथ अपने यूट्यूब चैनल पर बातचीत में ये बात बताई. अश्विन ने कहा- विदेश दौरों पर टेस्ट मैचों से बाहर बैठना मुझे बहुत खलने लगा और यही मेरी अचानक इंटरनेशनल रिटायरमेंट की वजह रही. अनिल कुंबले के बाद 500 से ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले दूसरे भारतीय गेंदबाज अश्विन ने सभी को चौंकाते हुए पिछले दिसंबर ब्रिस्बेन में तीसरे टेस्ट के बाद संन्यास की घोषणा कर दी थी.
अपने यूट्यब चैनल पर बात करते हुए अश्विन ने राहुल द्रविड़ से कहा- “मैं काफी उम्रदराज हो चुका था, ये मानता हूं, लेकिन बार-बार टूर पर जाना और ज्यादातर बाहर बैठना, मुझे बहुत खलने लगा था.
ऐसा नहीं था कि मैं टीम में कंट्रीब्यूट नहीं करना चाहता था, लेकिन फिर आप सोचने लगते हैं कि क्या घर पर बच्चों के साथ समय बिताना बेहतर है. वो भी बड़े हो रहे हैं और मैं यहां बैठा क्या कर रहा हूं? तो मैंने महसूस किया कि बस अब… मेरे मन में हमेशा था कि 34-35 की उम्र में रिटायर हो जाऊंगा. लेकिन बीच में लगातार न खेल पाने की वजह से फैसला कर लिया…”.
अश्विन ने विदेश में कितने विकेट लिए?
अश्विन ने नवंबर 2011 में टेस्ट डेब्यू किया था. उन्होंने भारत में खेले 65 टेस्ट में 383 विकेट और 40 विदेशी टेस्ट में 150 विकेट हासिल किए थे. वहीं न्यूट्रल वेन्यू पर खेले गए एकमात्र टेस्ट 2019-21 वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल (न्यूजीलैंड के खिलाफ, इंग्लैंड) में उन्होंने 4 विकेट लिए थे.
इंटरव्यू में द्रविड़ ने रोहित शर्मा के बारे में बात की. द्रविड़ ने कहा- रोहित शर्मा का शांत रहना, टीम की बहुत ज्यादा परवाह करना और क्लियरली अपनी सोच और विचार शेयर करना उनके लिए सबसे खास रहा. दोनों की जोड़ी भारतीय क्रिकेट इतिहास की सबसे सफल कप्तान-कोच जोड़ियों में गिनी गई. रोहित और द्रविड़ की अगुआई में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया, खासकर व्हाइट-बॉल क्रिकेट में… टीम 2023 वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची और अगले साल टी20 वर्ल्ड कप जीत लिया.
द्रविड़ ने अश्विन से कहा- यह वाकई शानदार था, रोहित के बारे में मुझे हमेशा लगा कि वह टीम की बहुत परवाह करते हैं और पहले दिन से ही उन्हें ये चीज क्लियर थी कि वह कैसे टीम को चलाना चाहते हैं और उनके लिए क्या सबसे अहम है. और यह किसी भी कप्तान और कोच के रिश्ते में सबसे यह जरूरी होता है, खासकर मेरे कोचिंग के तरीके में, मैं हमेशा मानता हूं कि यह कप्तान की टीम होनी चाहिए. मैं खिलाड़ी भी रह चुका हूं और कप्तान भी, लेकिन कप्तान को ही टीम की दिशा तय करनी होती है.
रोहित के साथ जबरदस्ती मीटिंंग नहीं होती थी: द्रविड़
द्रविड़ ने आगे कहा- कभी-कभी आपको कप्तान की मदद करनी पड़ती है ताकि उसे क्लेरिटी मिले और जरूरी चीजें समझ में आएं. मुझे उनके साथ समय बिताने और उन्हें एक इंसान के तौर पर जानने में आनंद आया, अक्सर हमारी बातचीत क्रिकेट तक सीमित नहीं होती थी.
शाम को उनके साथ डिनर पर बैठकर बातचीत करना ईजी था. ऐसा नहीं था कि हमें जबरदस्ती मीटिंग करनी है. उन्हें अंडर-19 खिलाड़ी के तौर पर देखने और उन्हें पहला ब्रेक देने के बाद, उन्हें एक इंसान और लीडर के तौर पर बढ़ते देखना वाकई बहुत अच्छा लगा.