ग्वालियर। अब मध्य प्रदेश में भी अमेरिका के 911 की तर्ज पर डायल 112 की सेवाओं ने 14 अगस्त से काम करना शुरू कर दिया है। डायल 112 के नई तकनीक से लैस ग्वालियर में 40, इंदौर में 68, भोपाल में 53 और जबलपुर में 47 वाहन सक्रिय हो गए हैं। अब चाहे पुलिस की जरूरत हो या फायर ब्रिगेड की या फिर एंबुलेंस की, इन तीनों सेवाओं को सिर्फ डायल 112 से ही लोगों तक पहुंचा दिया जाएगा।
इस बार डायल 100 से डायल 112 को काफी आधुनिक बनाया गया है, जिसमें सबसे खास फीचर का एप भी शामिल है। अब लोगों को मदद के लिए कॉल करने की जरूरत नहीं है। अपने फोन में डायल 112 का एप खोलना है और एसओएस बटन दबाना है। इसके बाद यह एप आपकी लोकेशन ट्रेस कर खुद ही कंट्रोल रूम को सूचित करेगा और डायल 112 आपके पास पहुंच जाएगी।
ऐसे जीवनरक्षक साबित होगा शाउट फीचर
जब कोई व्यक्ति खतरे की स्थिति में होता है और सिर्फ कंट्रोल रूम को अलर्ट करना काफी नहीं होता, तब डायल 112 का शाउट फीचर मददगार साबित होता है। जैसे ही यह फीचर ऑन किया जाता है, एसओएस अलर्ट सिर्फ पुलिस कंट्रोल रूम तक नहीं, बल्कि यूजर के आसपास मौजूद एप यूजर्स और पंजीकृत इमरजेंसी कॉन्टेक्ट्स तक भी पहुंचता है। साथ ही यह फीचर मोबाइल के जरिए तेज आवाज (सायरन जैसी बीप) भी निकालता है, ताकि आस-पास मौजूद लोग तुरंत सतर्क हो जाएं। खासकर महिलाओं, स्कूली छात्राओं और बुजुर्गों के लिए यह फीचर जीवनरक्षक साबित हो सकता है।
गाड़ियों की तकनीकी खूबियां
डायल 112 के तहत तैनात की जा रही गाड़ियां अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। इनमें जीपीएस सिस्टम लगा है, जिससे कंट्रोल रूम वाहन की लोकेशन ट्रेस कर घटनास्थल तक पहुंचने का सबसे छोटा रास्ता बता सकता है। गाड़ियों में डैश कैम और वीडियो कैमरे लगाए गए हैं, ताकि घटनास्थल की लाइव रिकार्डिंग हो सके और साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित रखी जा सके। साथ ही वाहन की गतिविधियों को भी मॉनीटर किया जा सके। इन वाहनों में सायरन और पब्लिक एड्रेस सिस्टम मौजूद है। इससे ट्रैफिक में रास्ता साफ कराया जा सकेगा या भीड़ को नियंत्रित किया जा सकेगा।