कुरुद: छत्तीसगढ़ में 20 अगस्त को साय कैबिनेट का विस्तार हो गया, जिसमें गजेंद्र यादव, गुरु खुशवंत साहेब और राजेश अग्रवाल को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई और विभाग भी सौंप दिए गए. हालांकि इस विस्तार में कुछ ऐसे नेता भी थे, जो अपेक्षा के बावजूद उपेक्षित रह गए. उन्हीं में से एक नाम है कुरुद विधायक और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता अजय चंद्राकर का. राजनीतिक, वैचारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में गहराई से अध्ययनशील माने जाने वाले अजय चंद्राकर लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. उनकेपिछले मंत्री कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले भी देखने को मिले. ऐसे में इस बार उन्हें मंत्रीमंडल से बाहर रखना कई राजनीतिक अटकलों को जन्म दे रहा है.
हाल ही में एक इंटरव्यू में अजय चंद्राकर ने मंत्रिमंडल में नाम न आने पर पूछे गए सवालों का बेहद संयमित और शालीनता से जवाब दिया. उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का विस्तार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है और उन्होंने साद्विक, वैचारिक, प्रशासनिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से जो बेस्ट मटेरियल था, उसका उपयोग किया है. राजेश अग्रवाल और गुरु खुशवंत साहेब जैसे मंत्रियों की वैचारिक पृष्ठभूमि को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि आज वे सभी भाजपा की विचारधारा के वाहक हैं और नई पीढ़ी को प्रेरित करेंगे. जब यह पूछा गया कि क्या उन्हें मंत्री न बनाए जाना गलत था, तो उन्होंने कहा कि राजनीति निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और राजनीति में जो बेस्ट होता है, वही होता है.
“लोभ न छोभ न राग न द्रोह…” तुलसीदास की पंक्तियों से दिया संदेश
जब उनसे पूछा गया कि क्या मंत्री न बनाए जाने से उन्हें कोई तकलीफ है, तो उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास की पंक्ति सुनाई. उन्होंने कहा कि “लोभ न छोभ न राग न द्रोहा, जिन्ह के कपट दंभ नहि माया, तिन्ह के हृदय बसहु रघुराया.” राजनीति चाहने या न चाहने से नहीं होती, ये जरूरतों के हिसाब से होती है. हम एक वैश्विक पार्टी के कार्यकर्ता हैं, यहां नाराज होने या पीड़ा जैसा कोई स्थान नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि रामचंद्र जी इसलिए महान बने क्योंकि उन्होंने अपने पिता की आज्ञा मानी और वे स्वयं भी एक अनुशासित कार्यकर्ता हैं.
“मैं तो राजनेता कभी था ही नहीं”
अपने बारे में बात करते हुए चंद्राकर ने कहा कि मैं कभी राजनेता था ही नहीं. आज भी बूथ स्तर पर काम करता हूं. मेरा मूल स्वभाव और पहचान कार्यकर्ता की है. विधानसभा में मैं जनता से जुड़े सवाल करता हूं और करता रहूंगा. जब उनसे यह पूछा गया कि वे शपथग्रहण समारोह में क्यों नहीं पहुंचे, तो उन्होंने बताया कि उन्हें पहले 18 तारीख की सूचना दी गई थी, लेकिन 20 अगस्त को उनके एक पारिवारिक शोक कार्यक्रम के कारण वे शामिल नहीं हो सके.