विपक्ष को बोलने का मौका न देना लोकतंत्र के लिए काला धब्बा-प्रमोद तिवारी

प्रतापगढ़ : राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने संसद के मानसून सत्र में शोरशराबे के बीच सरकारी कामकाज को निपटाये जाने को लोकतंत्र के लिए काला धब्बा ठहराया है.वहीं उन्होने धान की फसल के समय किसानों को प्रदेश में यूरिया खाद नहीं मिल पाने को भी सरकारी कुप्रबंधन की बड़ी असफलता करार दिया है.

 

राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि मानसून सत्र में प्रश्न प्रहर एवं शून्यकाल में विपक्ष जनता से जुड़े जनहित के मुददे उठाने का भरसक प्रयास करता रहा.उन्होने कहा कि भाजपा ने छल छद्म के सहारे सदन को स्थगित कराने का ही ध्यान केन्द्रित रखा.उन्होने कहा कि शोरशराबे के माहौल में संविधान संशोधन विधेयक जैसे खतरनाक विधेयक को भी विपक्ष की अनदेखी के साथ जिस तरह से संयुक्त संसदीय समिति को सुपुर्द किया गया यह अलोकतांत्रिक प्रक्रिया सीधे तौर पर तानाशाही की शुरूआत है.

 

उन्होने कहा कि संशोधन विधेयक पर गृहमंत्री के विचार तो आये पर विपक्ष के नेताओं यहां तक कि राज्यसभा में नेता विरोधीदल को भी ऐसे खतरनाक कानून पर विचार रखने का मौका नहीं दिया गया.उन्होने कहा कि मानसून सत्र मे विपक्ष एसआईआर के नाम पर लोगों के मतों को चुनाव आयोग द्वारा छीन लेने के खिलाफ एकजुट हुआ.राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष आम आदमी के वोट के अधिकार की लड़ाई पूरी ताकत से जारी रखेगी.

 

राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में राज्यों की स्वायतता पर भी गहरा संकट छाया हुआ है.उन्होने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा भी राज्यपाल की भूमिका पर जतायी जा रही चिन्ता अत्यन्त गंभीर है.वही उन्होने प्रदेश मे यूरिया की हो रही कालाबाजारी को लेकर सरकारी कुप्रबन्धन पर भी कड़ा हमला बोला.उन्होने कहा कि बड़े पैमाने पर खाद की तस्करी तथा कालाबाजारी व जमाखोरी हो रही है.

 

राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि समितियों पर यूरिया के गायब होने से किसान परेशान भटक रहा है.राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह चिन्ताजनक है कि खाद के लिए समितियों पर किसानों की कतार हताशा में देखी जा रही है.राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी का यह बयान शुक्रवार को मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से निर्गत हुआ है.

Advertisements
Advertisement