बेटे की लड़ाई रंग लाई, बीमा कंपनी को 70 लाख रुपये चुकाने का आदेश

जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को बड़ा झटका देते हुए मृतक बीमाधारक के बेटे को लगभग 70 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। दरअसल, बीमा कंपनी ने बीमा अवधि के दौरान हुई मृत्यु के बाद भी क्लेम राशि देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद मृतक के बेटे ने न्याय की लड़ाई लड़ी और अब उसे न्याय मिला है।

शिकायतकर्ता सौरभ वैष्णव निवासी नरियरा, तहसील मालखरौदा, जिला सक्ती के पिता शामदास वैष्णव ने टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस से स्मार्ट संपूर्ण रक्षा पॉलिसी ली थी। यह पॉलिसी 23 अगस्त 2023 से 23 अगस्त 2063 तक की अवधि के लिए थी। बीमा धारक की मृत्यु 24 अक्टूबर 2023 को हार्ट अटैक से हो गई। पॉलिसी के मुताबिक, नामिनी सौरभ वैष्णव को 68 लाख 40 हजार रुपये का बीमा धन मिलना था।

लेकिन, बीमा कंपनी ने 31 दिसंबर 2023 को यह कहते हुए क्लेम निरस्त कर दिया कि बीमाधारक ने आय और रोजगार संबंधी गलत जानकारी देकर पॉलिसी ली थी। इस पर सौरभ ने जिला उपभोक्ता आयोग, जांजगीर में शिकायत दर्ज कराई।

आयोग के अध्यक्ष प्रशांत कुंडू, सदस्य विशाल तिवारी और सदस्य महिमा सिंह ने दोनों पक्षों के तर्क और दस्तावेजों का अध्ययन किया। आयोग ने पाया कि बीमा कंपनी ने दावा अस्वीकार करने के लिए कोई ठोस और वैध प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया। आयोग ने माना कि कंपनी ने बिना उचित कारण क्लेम राशि देने से इनकार कर सेवा में कमी की है।

आयोग ने आदेश दिया कि बीमा कंपनी शिकायतकर्ता को 68 लाख 40 हजार रुपये, मुकदमे का खर्च 10 हजार और मानसिक क्षतिपूर्ति के तौर पर 1 लाख रुपये अदा करे। यह पूरी राशि आदेश की तारीख से 45 दिनों के भीतर दी जानी होगी। यदि समय पर भुगतान नहीं किया गया तो कंपनी को राशि पर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के तहत यह फैसला पारित किया गया। इस फैसले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उपभोक्ता आयोग आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्रभावी माध्यम है।

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