आरएसएस का आरोप: पश्चिम बंगाल में हिंसा को मिल रहा संरक्षण

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने शुक्रवार (22 अगस्त, 2025) को पश्चिम बंगाल में बढ़ती हिंसा पर चिंता जताई. संघ का मानना है कि बंगाल में हिंसा क्यों होती है, लोगों को इस पर विचार करना चाहिए. सूत्रों के अनुसार, संघ ने देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी कड़े कदम उठाने पर जोर दिया. भारत में जनसंख्या नियंत्रण नहीं, बल्कि एक समग्र जनसंख्या नीति की जरूरत है, जो सभी भारतीयों पर लागू हो.

सूत्रों ने यह भी कहा, “संघ ने अक्टूबर तक देशभर में 1 लाख शाखाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में 2018 शाखाएं सक्रिय हैं.” संघ का मानना है कि पश्चिम बंगाल में जैसी हिंसक घटनाएं हो रही हैं, उसके पीछे सरंक्षण प्राप्त होता है. लोगों को इस पर विचार करना चाहिए.

सूत्रों के अनुसार, आरएसएस का कोई संविधान नहीं है, जिसमें 75 साल की आयु में सेवानिवृत्ति का नियम हो. इसलिए, यह नियम किसी पर थोपा नहीं जा सकता. प्रत्येक संगठन को अपनी स्वायत्तता के साथ काम करना चाहिए. आरएसएस का मानना है कि बंगाल में भाजपा की सीटों की संख्या (72-75) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन सत्ता में आने की संभावना एक अलग मुद्दा है. किसी ने नहीं सोचा था कि भाजपा 72-75 सीट जीतेगी. निश्चित रूप से यह विकास है. हालांकि, भाजपा का बंगाल में सरकार बनाना एक अलग विषय है.”

उन्होंने यह भी कहा, “आरएसएस का यह भी मानना है कि सभी को स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार है, लेकिन देश के प्रति निष्ठा पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए. भारत में न तो गैर-हिंदुओं को प्रताड़ित किया जाना चाहिए और न ही बांग्लादेश में हिंदुओं को.”

ममता बनर्जी की नीतियों ने आरएसएस को लेकर जताई नाराजगी

भाषा के मुद्दे पर संघ का मानना है कि संपर्क भाषा एक हो सकती है, लेकिन राष्ट्रीय भाषाएं अनेक हो सकती हैं. संघ ने पश्चिम बंगाल में राजधर्म की कमी पर असंतोष जताया और ममता बनर्जी की सरकार की नीतियों के प्रति नाखुशी जाहिर की.

चीन को लेकर क्या है आरएसएस का मत

सूत्रों के अनुसार संघ मानता है कि केंद्र और राज्य सरकारें एक-दूसरे की दुश्मन नहीं हैं. हम कांग्रेस के साथ भी नीतिगत मुद्दों पर चर्चा करते थे. हम प्रणब दा से बांग्लादेश और नेपाल पर बात करते थे. वहीं, चीन के साथ संबंधों पर संघ का मानना है कि आरएसएस कभी भी किसी देश से स्थायी दुश्मनी की बात नहीं करता है. सभी के साथ संबंध रखने चाहिए, लेकिन राष्ट्र की सर्वोच्चता सर्वोपरि है.

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