दमोह के दो गांवों में शराबबंदी का निर्णय: बेचने पर 20 हजार और पीकर उत्पात मचाने पर 5 हजार जुर्माना

दमोह जिले की ग्राम पंचायत के रियाना और जुझार गांव ने मिलकर शराबबंदी का ऐतिहासिक निर्णय लिया है. शुक्रवार को जुझार गांव के राधा कृष्ण मंदिर परिसर में आयोजित ग्रामसभा में यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया.

गांव के सरपंच दर्शन सिंह लोधी ने बैठक में स्पष्ट किया कि अब कोई भी व्यक्ति गांव की सीमा में शराब नहीं बेच सकेगा. यदि कोई इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उस पर 20,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं, शराब पीकर गाली-गलौज करने या उत्पात मचाने वालों से 5,000 रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा. बार-बार नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना दोहराया जाएगा और यदि इसके बाद भी कोई नहीं माना, तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.

दोनों गांवों में शराबबंदी के समर्थन में रैली निकाली गई

गांव के लोगों ने इस फैसले का समर्थन करते हुए संकल्प भी लिया. बैठक में उपस्थित जुझार गांव के कल्याण सिंह लोधी ने बीड़ी छोड़ने का ऐलान किया और सबके सामने बीड़ी का बंडल तोड़कर फेंक दिया. उनके इस कदम का सभी ने तालियों से स्वागत किया. इसके बाद रियाना और जुझार दोनों गांवों में शराबबंदी के समर्थन में रैली निकाली गई. ग्रामीणों ने नारे लगाकर नशामुक्ति का संदेश दिया. लगभग 4,000 की आबादी वाले इन गांवों में कुछ वर्षों से शराब की बिक्री शुरू हुई थी. धीरे-धीरे कुछ युवा इसकी लत के शिकार हो गए और गांव का माहौल बिगड़ने लगा. बढ़ते विवाद और सामाजिक वातावरण में गिरावट को देखते हुए बुजुर्गों ने इस विषय पर गंभीरता से विचार किया और आखिरकार शराबबंदी लागू करने का सामूहिक निर्णय लिया.

बैठक में कई सामाजिक और राजनीतिक प्रतिनिधि मौजूद रहे. इनमें जनपद सदस्य जगदीश सिंह, लोधी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष हाकम सिंह, जनपद सदस्य पप्पू सिंह और भगवती मानव कल्याण संगठन के सदस्य शामिल रहे. सभी ने ग्रामीणों के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि इस निर्णय से आने वाली पीढ़ी को नशे से दूर रखने में मदद मिलेगी.

इन दो गांवों की यह मुहिम आसपास के अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणादायक बन सकती

इस पहल के बाद ग्रामीणों का मानना है कि गांव का वातावरण पहले से अधिक शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनेगा. बुजुर्गों का कहना है कि जब समाज खुद आगे बढ़कर पहल करता है, तभी स्थायी बदलाव आता है. दमोह जिले के इन दो गांवों की यह मुहिम आसपास के अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणादायक बन सकती है. ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनकी इस पहल से जिलेभर में नशामुक्ति अभियान को नई दिशा मिलेगी.

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