डूंगरपुर: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व राष्ट्रीय सचिव एवं बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर द्वारा “लोकलाज की सजा” के नाम पर शिक्षकों और कर्मचारियों के घरों के बाहर “जांच रिपोर्ट चस्पा” करने के तुगलकी फरमान की निंदा करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री ने लोक लज्जा के नाम पर शिक्षक के घर आरोप पत्र चश्पा करने के निर्देश अव्यवहारिक व लोकतंत्र विरोधी है वे अपने आप आप को संविधान से ऊपर मान रहे हैं.
उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री ने भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त शिक्षकों व कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने की घोषणा करते हुए जांच रिपोर्ट ऐसे लोगों के “घर पर चस्पा” करने का आदेश दिया है. जबकि प्रारंभिक जांच में दोषी पाए गए 50 प्रतिशत कर्मचारी विस्तृत जांच में आरोप मुक्त हो जाते हैं. शेष में से लगभग 10-15 प्रतिशत कर्मचारी अंतिम जांच परिणाम के समय दोष मुक्त हो जाते हैं.
शिक्षा मंत्री ने प्रारंभ में ही शिक्षक के घर आरोप पत्र चस्पा कर उसकी मर्यादा को क्षति पहुंचाने की कार्रवाई करने के निर्देश दिए. यदि आरोप पत्र को शिक्षक के घर चश्पा किया गया और शिक्षक दूसरे या तीसरे चरण में दोष मुक्त हो गया तो उसकी प्रतिष्ठा की रक्षा कौन करेगा….. ?
किसके पास यह शक्ति है कि उसे समाज में पुनर्स्थापित कर दे…. ? दोषी पाए जाने वाले कार्मिक के खिलाफ 16 सीसीए में सख्त से सख्त कार्रवाई का प्रावधान है यहां तक की सेवा से पृथक करना भी. फिर इस प्रकार के आदेशों का क्या औचित्य है.
पूर्व सांसद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भ्रष्ट और अश्लील हरकतें करने वालों के साथ नहीं है. लेकिन कोई भी मंत्री कानून के ऊपर जाकर ऐसा आदेश नहीं दे सकता है. यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है. सिर्फ आरोप के आधार पर इस तरह बदनामी करना शिक्षकों का अपमान है न्याय व्यवस्था को अपना काम करने देना चाहिए.