नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस से तेल खरीदने पर पश्चिमी देशों और अमेरिका की आलोचनाओं का करारा जवाब दिया है। उन्होंने साफ कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्र निर्णय लेता है और किसी दबाव में झुकने वाला नहीं है। जयशंकर ने तंज कसते हुए कहा कि अगर किसी देश को भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने में दिक्कत है तो वे न खरीदें, कोई उन्हें मजबूर नहीं कर रहा।
आर्थिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत का यह कदम केवल राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक हित में भी है। उन्होंने याद दिलाया कि 2022 में जब वैश्विक तेल कीमतें उछाल पर थीं, तब भारत की खरीद ने बाजार को स्थिर करने में अहम भूमिका निभाई थी। उनका कहना था कि भारत की खरीदारी ने वैश्विक बाजारों को शांत किया और कीमतों को काबू में रखने में मदद की।
जयशंकर ने अमेरिका की व्यापारिक नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद है कि एक व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत किसानों और छोटे व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए हर हाल में प्रतिबद्ध है और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताएं जारी रहेंगी, लेकिन भारत अपनी शर्तों पर ही आगे बढ़ेगा।
विदेश मंत्री ने हाल ही में रूस की यात्रा की थी जहां उन्होंने अपने समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत रूस के साथ व्यापार और सहयोग बढ़ाने का इच्छुक है और रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी भारत का रुख साफ है—भारत चाहता है कि इस संघर्ष का जल्द और शांतिपूर्ण समाधान निकले।
भारत और अमेरिका के बीच मौजूदा तनाव का एक बड़ा कारण रूस से तेल खरीद है। अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है, जिसमें 25% पेनल्टी टैरिफ भी शामिल है। इसके बावजूद जयशंकर का कहना है कि भारत की प्राथमिकता ऊर्जा सुरक्षा है और इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि जयशंकर का यह बयान पश्चिमी देशों को भारत की दृढ़ कूटनीतिक स्थिति का संकेत है। इससे साफ संदेश गया है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखकर ही विदेश नीति तय करेगा।