बांका : बिहार में अक्सर अजीबो-गरीब घटनाएं सुर्खियों में रहती हैं.ताजा मामला बांका जिले के शंभूगंज प्रखंड से सामने आया है, जहां एक मृत शिक्षक पर पांच-पांच एफआईआर दर्ज कर दी गईं. यह घटना आसपास के लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर किसी मृत व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज कैसे हो सकती है.
जानकारी के अनुसार, बांका जिले के मिर्जापुर पंचायत के सोंडीह गांव निवासी और प्राथमिक विद्यालय मेहरपुर में पदस्थापित रहे शिक्षक निरंजन कुमार पर फर्जी प्रमाणपत्र मामले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने केस दर्ज कराया है। हालांकि, अहम बात यह है कि निरंजन कुमार की मृत्यु करीब 5 साल पहले ही हो चुकी है. इसके बावजूद उनके नाम पर लगातार एफआईआर दर्ज की जा रही है.
इस मामले से मृत शिक्षक का परिवार हैरान और परेशान है. परिजनों ने बताया कि उन्होंने निरंजन कुमार की मृत्यु का प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग के जिला कार्यालय और प्रखंड बीआरसी तक भेजा था.बावजूद इसके, विभाग ने इस जानकारी को नजरअंदाज करते हुए मृतक शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की और निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कर दी.परिवार का कहना है कि यह पूरी तरह से लापरवाही और प्रशासनिक चूक का मामला है.जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है और उसका प्रमाण पत्र विभाग को पहले ही सौंपा जा चुका है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना न सिर्फ असंवेदनशीलता है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया का भी मजाक उड़ाना है.अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार की व्यवस्था इतनी लचर हो चुकी है कि मृतक तक को चैन से नहीं छोड़ा जा रहा. यह मामला न केवल परिजनों के लिए पीड़ा का कारण बना है बल्कि प्रशासनिक कार्यप्रणाली की बड़ी खामी को भी उजागर करता है.