राजधानी रायपुर में तीजा पोरा त्योहार पर सुभाष स्टेडियम में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां अचानक गैस-सिलेंडर में आग लग गई। जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया। वहीं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने अपनी बेटी के साथ झूला झूलते दिखे। पोला के अलावा तीजा उत्सव मनाने भी महिलाएं बड़ी संख्या में पहुंची हैं।
दरअसल, आज बघेल का जन्मदिन भी है। ऐसे में तीजा–पोरा तिहार के साथ ही सुभाष स्टेडियम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। सुबह 11 बजे से पूजा के साथ ही तरह-तरह की छत्तीसगढ़ी खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गई है। पारंपरिक गीतों और नृत्य कला की प्रस्तुति दी जा रही है।
वहीं, कृषि मंत्री रामविचार नेताम के नवा रायपुर स्थित निवास परिसर में पोला तिहार मनाया जाएगा। यहां बैल जोड़ों और मिट्टी से बने नंदी बैल की पूजा की जाएगी। इस आयोजन में सभी मंत्री, विधायक भी शामिल होंगे।
रायपुर में बैल दौड़ का आयोजन
रामसागर पारा भैसथान मैदान में आज शाम में शाम 4 बजे बैल दौड़ का आयोजन किया गया है। प्रतिभागियों को नगद पुरस्कार छत्तीसगढ़ पारंपरिक पोरा तिहार उत्सव समिति की ओर से दिया जाएगा। समिति के संरक्षक विकास उपाध्याय ने बताया कि, यहां दशकों से बैल दौड़ की परंपरा निभाई जा रही है।
इसमें सर्वश्रेष्ठ बैल जोड़ी को 6100 रुपए का इनाम दिया जाएगा। वहीं दौड़ में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वाली बैल जोड़ियों को क्रमश: 5100, 4100 और 3100 रुपए और बाकी सात्वंना पुरस्कार दिए जाएंगे।
रावणभाठा में 51 किसानों का सम्मान
कृष्ण मित्र फाउंडेशन ने रावणभाठा मैदान में आज बैल दौड़ और बैल सजाओ स्पर्धा का आयोजन किया है। संस्था के अध्यक्ष माधव यादव ने बताया कि, इस दौरान 51 किसानों को सम्मानित भी किया जाएगा। कृषि मंत्री रामविचार नेताम कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे।
बैल सजावट में 5000, 3001 और 2001 रुपए क्रमश: पहले दूसरे और तीसरे स्थान पर आने वालों को दिया जाएगा। वहीं बैल दौड़ में प्रथम 3000, द्वितीय 2000 और तृतीय 1000 रुपए का इनाम दिया जाएगा। स्पर्धा में शामिल होने वाले प्रतिभागी को 2 हजार रुपए सांत्वना राशि दी जाएगी।
इसलिए मनाया जाता है यह त्योहार
बता दें कि, पोला तिहार छत्तीसगढ़ की परम्परा, संस्कृति और लोक जीवन की गहराइयों से जुड़ा है। इस त्यौहार में उत्साह से बैलों और जाता-पोरा की पूजा कर अच्छी फसल और घर को धन-धान्य से परिपूर्ण होने के लिए प्रार्थना की जाती है। यह त्यौहार हमारे जीवन में खेती-किसानी और पशुधन का महत्व बताता है।
यह पर्व बच्चों को हमारी संस्कृति और परम्पराओं से परिचय कराने का भी अच्छा माध्यम है। घरों में प्रतिमान स्वरूप मिट्टी के बैलों और बर्तनों की पूजा कर बच्चों को खेलने के लिए दिया जाता है। जिससे बच्चे अनजाने ही अपनी मिट्टी और उसके सरोकारों से जुड़ते हैं।