शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या विशेष होती है, जिसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहा जाता है. मध्य प्रदेश के उज्जैन में शनिश्चरी अमावस्या को खूब धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. इस मौके पर देर रात से ही आस्था का स्नान करने के लिए श्रद्धालु शिप्रा तट पर पहुंचते हैं और स्नान करने के बाद पनौती के रूप में अपने कपड़े और चप्पल यहीं छोड़ देते हैं.
भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर वैसे तो रामघाट, सिद्धनाथ, बावन कुंड पर आस्थावानों का सैलाब उमड़ा ही. इसके साथ ही रात 12 बजे से त्रिवेणी संगम पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान करने पहुंचे. मान्यता है कि शनिवार के दिन अमावस्या आने से त्रिवेणी संगम पर स्नान करने और पनौती छोड़ने के बाद भगवान शनि देव के दर्शन करने से शनि साडेसाती का प्रभाव कम होता है, साथ ही भगवान शनि देव की कृपा हमेशा सभी पर बनी रहती है.
विशेष संयोग में शनिश्चरी अमावस्या
इसी मान्यता के चलते लाखों श्रद्धालुओं ने पहले स्नान किया और उसके बाद भगवान शनि देव का पूजन अर्चन कर धर्मलाभ कमाया. त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर के पुजारी राकेश बैरागी ने बताया कि इस साल 29 मार्च, 27 मई और आज 23 अगस्त को विशेष संयोग मे शनिश्चरी अमावस्या आई है. 23 अगस्त, शनिवार को श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर स्नान करने के बाद भगवान शनि देव के दर्शन किए और यहां अपने कष्टों से मुक्ति पाने के साथ ही मनोकामना के लिए भी स्नान और दान पुण्य किया.
महाकाल मंदिर में दिखी भक्तों की भीड़
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज शनिश्चरी अमावस्या पर भक्तों की भारी भीड़ देखी गई. 23 अगस्त, शनिवार को सुबह त्रिवेणी संगम, रामघाट, सिद्धनाथ और 52 कुंड पर हुए स्नान के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने मंदिर पहुंचे. यहां उन्होंने बाबा महाकाल के दर्शन करने के बाद उनका आशीर्वाद भी लिया. इस साल बारिश कम होने की वजह से त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी तो नहीं लगा पाए, लेकिन श्रद्धालुओं ने फव्वारा स्नान कर धर्मलाभ जरूर लिया. प्रशासन ने श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए 100 मीटर तक फव्वारे लगवाए थे, जिसका लाभ लेते हुए श्रद्धालुओं ने पहले स्नान किया और फिर दर्शन-दान पुण्य कर धर्म लाभ अर्जित किया.