मरने के बाद भी सुकून नही’ – श्योपुर जिले की शर्मनाक तस्वीर वायरल” 

मध्य प्रदेश : कई ऐसी सरकारें आई जो सिर्फ विकास के ढोल पीट कर चली गईं, लेकिन कई गांवों के हालात आज भी जस के तस हैं। वहां पर विकास तो छोड़ों, श्मशान घाट ही नहीं है.यहां अंतिम यात्रा भी मजबूरियां भरी है.भले ही मध्यप्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव प्रदेश में तमाम मूलभूत सुविधाएं होने का दावा करते हों लेकिन सच्चाई तो ये है कि यहां मरने के बाद शव को जलाने के लिए श्मशान घाट भी नहीं है.

 

और घाट है पंरतु खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करते दिख रहे ये लोग किसी दुर्गम क्षेत्र के नहीं श्योपुर जिले के विजयपुर क्षेत्र के इकलौद गांव बनी की है.यह ग्राम कहने में तो एक अच्छे गांव की श्रेणी में आता है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है.मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के विजयपुर इलाके के इकलौद गांव में एक हृदयविदारक घटना सामने आई, जब गांव के एक मृतक व्यक्ति केशव दीक्षित की अंतिम यात्रा नाले के गंदे पानी से होकर गुजारनी पड़ी. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि गांव का श्मशान घाट गंदे नाले के दूसरी ओर स्थित है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए केवल एक कच्चा (कीचड़ से सना)रास्ता ही बना हुआ है.

पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जिससे जिले की सभी नदियां उफान पर हैं. इसी कारण शवयात्रा को गंदे पानी से होकर ले जाना पड़ा. ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या वर्षों से बनी हुई है, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है. शव को पानी से गुजरते देख ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. उनका कहना है कि यह समस्या सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की है

नतीजा कुछ नहीं निकला

ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना घटती है, तो उसका पूरा जिम्मेदार मौजूदा सरपंच सचिव विधायक और शासन-प्रशासन के अधिकारी होंगे. पहले भी कई बार अधिकारियों को इस समस्या को लेकर अवगत कराया गया है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में यह रास्ता और भी खतरनाक हो जाता है.

नाले पर पक्की पुलिया बनाई जाए

शवयात्रा के दौरान हर कोई डर के साए में रहता है. ग्रामीणों की मांग है कि जल्द से जल्द श्मशान घाट तक पक्का रास्ता और पक्की पुलिया बनाई जाए, जिससे गांव वालों को परेशानी से निजात मिल सके. बच्चों और बुजुर्गों के लिए शवयात्रा के दौरान पानी पार कराना बेहद जोखिम भरा साबित हो रहा है.

श्मशान घाट के हालात बेहद खराब

दरअसल, यहां वर्षों पुराने बने मुक्तिधाम में बिजली-पानी सहित अन्य की सुविधाओं की पूर्ति नहीं होने से ग्रामवासियों को परेशानी हो रही है। स्थिति यह है कि मुक्तिधाम में टिनशेड तक नहीं है और तो और चबूतरा भी नहीं बनाया है।यही नहीं चिता को रखने के लिए स्टैंड तक पंचायत नहीं बना सकी.यही वजह है कि ग्रामीणजन खुले आसमान के नीचे संस्कार करने को मजबूर है.

 

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