उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक पूजा पाल और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच बयानबाज़ी तेज हो गई है। पूजा पाल ने हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और इसके बाद अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि उन्हें जान से खतरा है और यदि उनके साथ कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदारी अखिलेश यादव की होगी।
पूजा पाल के इस पत्र और आरोपों ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। उन्होंने सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी, जिसके बाद सपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके तुरंत बाद ही उन्होंने सीएम योगी से मुलाकात कर अपने खतरे का जिक्र किया। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में यह अटकलें भी लगाई जाने लगीं कि अब वे अपनी नई पारी बीजेपी से शुरू कर सकती हैं।
दूसरी ओर, अखिलेश यादव ने पूजा पाल के आरोपों को बेबुनियाद बताया और पलटवार किया। उन्होंने कहा कि यह समझ से परे है कि कोई मुख्यमंत्री से मिल रहा है और फिर भी कह रहा है कि दूसरी पार्टी का नेता उसे मार सकता है। अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि आजकल हमें तो जेल भेजा जा सकता है, हमारे समर्थकों को भी खतरा है।
अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले को गंभीर बताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की है कि इन आरोपों की जांच होनी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर पूजा पाल को किससे खतरा है। अखिलेश ने यह भी कहा कि सपा ने हमेशा पूजा पाल का कठिन समय में साथ दिया है और इतने वर्षों में उन्हें कभी किसी से खतरे की बात नहीं सूझी।
यह पूरा घटनाक्रम न केवल सपा के भीतर तनाव पैदा कर रहा है बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी नए समीकरण बनाने का संकेत दे रहा है। एक तरफ पूजा पाल का बीजेपी के साथ संभावित गठजोड़ चर्चा में है, वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बता रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का राजनीतिक असर किस पर अधिक पड़ता है।