बलरामपुर-रामानुजगंज : जिले के अंतर्गत शंकरगढ़ अनुभाग में वर्ष 2024-25 की आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़े का बड़ा मामला सामने आया है.कलेक्टर बलरामपुर द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फर्जी अंकसूची तैयार कर भर्ती में शामिल होने वाली चार महिलाओं समेत कुल चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
गिरफ्तार आरोपी इस प्रकार हैं: 1. अरमाना पति शमशेर आलम, उम्र 29 वर्ष, निवासी – जारगीम, 2. रिजवाना पति अमरुद्दीन, उम्र 33 वर्ष, निवासी – महुआडीह ,3. प्रियंका यादव पति आशीष यादव, उम्र 27 वर्ष, निवासी – कोठली, 4. सुशीला सिंह पति उमाशंकर सिंह, उम्र 26 वर्ष, निवासी – बेलकोना
चारों आरोपी महिलाएं आंगनबाड़ी सहायिका पद पर चयनित हुई थीं। जांच में पाया गया कि इन्होंने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर कक्षा आठवीं की फर्जी अंकसूचियाँ तैयार कीं और उन्हीं के आधार पर आंगनबाड़ी सहायिका के लिए चयनित हो गईं.
इस घोटाले की शुरुआत तब हुई जब एकीकृत बाल विकास परियोजना, कुसमी के प्रभारी परियोजना अधिकारी ने आंगनबाड़ी भर्ती में अनियमितताओं की शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद कलेक्टर बलरामपुर द्वारा एक विशेष जांच कमेटी का गठन किया गया, जिसने जार्गिम (बेहराटोली), महुआडीह (कटहरपारा), कोठली (धाजापाठ), और बेलकोना (डूमरपानी) आंगनबाड़ी केंद्रों पर चयनित सहायिकाओं की शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों की जांच की.
जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि चारों सहायिकाओं ने कक्षा आठवीं की फर्जी अंकसूचियाँ प्रस्तुत की थीं। दस्तावेजों की सत्यता न पाए जाने पर थाना शंकरगढ़ में आरोपीगण के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धाराएं – 318(2), 318(4), 338, 336(3), 340(2), एवं 61(2) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया.
गिरफ्तार चारों महिलाओं को हिरासत में लेकर न्यायालय में पेश किया गया है.वहीं, पुलिस द्वारा मामले के अन्य पहलुओं की गहन जांच की जा रही है.इस मामले में अन्य संभावित सहयोगियों की भूमिका भी जांच के दायरे में है.
कलेक्टर बलरामपुर ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि शासकीय भर्तियों में किसी भी प्रकार की फर्जीवाड़ा या धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की हरकत करने का साहस न कर सके.
यह मामला न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे शासकीय योजनाओं में भ्रष्टाचार की गंभीरता को भी उजागर करता है.अब देखना यह है कि पुलिस की जांच में और कौन-कौन से नाम सामने आते हैं और दोषियों को कब तक सजा मिलती है.
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