30 दिन के अंदर ही कोर्ट को भी जमानत पर फैसला करना होगा…PM और CM को जेल वाले कानून पर बोले अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीएम-सीएम को गंभीर अपराध पर पद से हटाने वाले बिल को लेकर बात की. अमित शाह ने कहा, कोई भी नेता अगर किसी गंभीर आरोप में पकड़ा जाता है, तो उसे उसके पद से मुक्त कर दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, किसी भी संविधान संशोधन को सदन में पेश न होने देना, ये लोकतंत्र में उचित नहीं है. सदन बातचीत और चर्चा के लिए है, न कि शोरगुल के लिए विपक्ष को बिल के विरोध का करण बताना चाहिए.

अमित शाह ने कहा, कोई भी नेता जेल से सरकार चलाए ये उचित नहीं है. अगर 30 दिन में जमानत मिलती है, तो वो वापस शपथ ले सकते हैं. आज भी भारत के जनप्रतिनिधित्व के अंदर कानून है उसके अंदर प्रावधान है की किसी को अगर 2 साल या 2 साल से ज्यादा की सजा होती है तो वो अपने पद से मुक्त हो जाएंगे. अमित शाह ने आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन का जिक्र करते हुए कहा, सत्येंद्र जैन को 4 साल तक जमानत नहीं मिला, उनके केस चालू है. आजादी के बाद कई नेता जेल में गए, सब इस्तीफा दे कर जेल में गए, लेकिन ये ट्रेंड अभी शुरू हुआ है.

विधेयक प्रस्तुत करने में आपत्ति क्यों?

शाह ने सवाल उठाया कि अगर संसद में चुनी हुई सरकार कोई विधेयक या संवैधानिक संशोधन लाती है, तो उसे सदन में रखने पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक संसद की दोनों सदनों की संयुक्त समिति को सौंपा जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा, यह एक संवैधानिक संशोधन है, जिसके लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है. सरकार के पास दो-तिहाई बहुमत है या नहीं, यह मतदान के समय पता चलेगा.

उन्होंने कहा कि किसी भी विधेयक को सदन में पेश न करने देना लोकतंत्र के खिलाफ है. संसद का मकसद विवाद और बहस है, न कि शोर-शराबा और हंगामा. शाह ने स्वीकार किया कि उन्होंने भी अतीत में विरोध किया है, लेकिन कभी विधेयक को पेश न करने देने की मानसिकता नहीं अपनाई. साथ ही उन्होंने कहा, इस तरह का व्यवहार कर विपक्ष को जनता को जवाब देना होगा.

 

30 दिनों तक मिल सकती है जमान

शाह ने कहा कि एनडीए के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री होने की वजह से यह विधेयक सिर्फ विपक्ष नहीं, सत्तापक्ष पर भी समान रूप से लागू होता है. साथ ही अमित शाह ने कहा, अगर किसी मंत्री या मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई मामला दर्ज होता है, तो उन्हें 30 दिनों तक जमानत मिल सकती है. साथ ही शाह ने साफ किया कि अगर मामला झूठा या फर्जी है, तो देश की उच्च न्यायपालिका (हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट) इसका संज्ञान लेगी. वे “आंख मूंदकर नहीं बैठी” हैं. साथ ही उन्होंने कहा, अदालत से जमानत नहीं मिलती, तो संबंधित व्यक्ति को पद छोड़ना पड़ेगा.

शाह ने पूछा, क्या कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री जेल से सरकार चला सकता है? यह लोकतंत्र की गरिमा और कार्यक्षमता के लिए गंभीर सवाल है. गृह मंत्री ने कहा, जहां 5 साल से ज्यादा सजा का प्रावधान है, सिर्फ वहीं पर संबंधित व्यक्ति को पद छोड़ना होगा. छोटे-मोटे या झूठे आरोपों पर किसी मंत्री या मुख्यमंत्री को पद छोड़ने की जरूरत नहीं होगी. शाह ने कहा कि भारत के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में पहले से प्रावधान है कि अगर किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है. अमित शाह ने कहा, इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे व्यक्ति सत्ता का दुरुपयोग न करें और लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे.

 

अमित शाह ने कहा पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस 130वें संवैधानिक संशोधन का प्रस्ताव दिया है, उसमें प्रधानमंत्री पद को भी शामिल किया गया है. अगर प्रधानमंत्री जेल जाते हैं, तो उन्हें भी इस्तीफा देना होगा – यह प्रस्ताव खुद प्रधानमंत्री ने लाया है.अमित शाह ने इसे खुद के खिलाफ जवाबदेही तय करने की लोकतांत्रिक भावना बताया. इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार सभी के लिए एक समान नियम चाहती है – सत्ता पक्ष हो या विपक्ष.

क्या है बिल का मकसद?

अमित शाह ने विपक्ष की आपत्ति को खारिज किया. उन्होंने विपक्ष की इस आपत्ति को असंगत बताया कि 30 दिन की जमानत अवधि बहुत ज्यादा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में किसी भी जमानत याचिका पर 5 दिनों से अधिक समय नहीं लगता. साथ ही उन्होंने कहा, 30 दिन का समय न्यायपालिका को ज़मानत पर निर्णय देने के लिए पर्याप्त और व्यावहारिक माना गया है. यह प्रावधान किसी के दोषी सिद्ध होने से पहले पद से हटाने का जरिया नहीं है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करते हुए लोकतंत्र में जवाबदेही तय करने का प्रयास है.

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