‘ससुर के मकान को कब्जाने का अधिकार बहू को नहीं…’ कोर्ट ने महिला की याचिका की खारिज; ससुराल के घर पर एक साल से जमाया था कब्जा

बिहार के मुजफ्फरपुर से एक मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. मामले में बहु के द्वारा सास-ससुर के मकान पर कब्जा करने को लेकर विवाद था. पीड़ित पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिला और कब्जाबाज बहू की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. जिले के सदर थाना क्षेत्र के दिघड़ा में सास-ससुर के मकान पर कब्जा कर रही बहु को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है.

माननीय न्यायालय ने बहु नैंसी की याचिका खारिज करते हुए पटना हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. न्यायालय ने कहा कि महिला को पति द्वारा दिए गए वैकल्पिक आवास में ही रहना होगा. यह मामला तब शुरू हुआ जब डेढ़ साल पहले बहू ने सास ससुर के साझे के मकान पर कब्जा कर लिया था.

क्या है मामला?

करीब डेढ़ साल पहले वैवाहिक विवाद में बहू ने पुलिस की मौजूदगी में नाजायज तरीके से सास ससुर के घर को कब्जा कर लिया था. इसके बाद मामला न्यायालय पहुंचा. निचली अदालत ने पीड़ित सास ससुर के पक्ष में फैसला देते हुए बहु को घर को कब्जा मुक्त करने का आदेश दिया, लेकिन बहु ने न्यायालय के आदेश को ठुकराते हुए हाई कोर्ट पहुंच गई, लेकिन कब्जाबाज बहु को हाई कोर्ट में भी पराजय मिली. हाई कोर्ट में फैसले में कहा था कि महिला को सखे के मकान पर कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है और उसे मकान खाली करना होगा.

कोर्ट ने बहु की याचिका की खारिज

महिला ने इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन सिर्फ अदालत में पहले ही सुनवाई में याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए बहु की याचिका खारिज कर दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर दोनों पक्ष चाहे तो मध्यस्थता के माध्यम से विवाद को सुलझा सकते हैं. यह जिले में इस तरह की पहली घटना है जो देश के सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंची है. ऐसे में पूरे क्षेत्र में इस केस की चर्चा हो रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि कब्जे की घटना को पुलिस की मौजूदगी में अंजाम दिया गया था.

कोर्ट ने दिया घर खाली करने का आदेश

इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी सामने आया है. मकान में लगे CCTV कैमरों में तमाम तस्वीरें कैद हुई है. पूरे मामले पर अधिवक्ता आदित्य सिंह ने बताया कि पीड़ित के पैतृक आवास पर दो फरवरी 2024 को बहु नैंसी कश्यप ने जबरन कब्जा कर लिया. यह काम पुलिस के साठ-गाठ में हुआ. यह घटना सीसीटीवी में कैद है. इसके बाद पीड़ित की शिकायत पर मामला जिला कोर्ट से हाई कोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि बहु को सास ससुर के मकान पर कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है, उसे मकान खाली करना होगा.

पुलिस प्रशासन पर उठ रहे सवाल

मामले में बहु और बेटे के तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा है, लेकिन इस तरह पुलिस को ले कर पहुंचना और ताला तोड़ कर मकान कब्जाने को कोर्ट ने भी गलत करार दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट से न्याय की मुहर लगने के बावजूद लड़की पक्ष ने लड़के के बुजुर्ग माता पिता के साझे मकान की चाबी उनको नहीं सौंपी है. हालांकि सवाल पुलिस की भूमिका पर भी है कि इस गैरकानूनी काम में पुलिस कैसे शामिल हो गई? पुलिस की यहाँ क्या भूमिका थी? मकान कब्जा कराने का टेंडर भी पुलिस लेती है क्या ? इसका जवाब तो सदर थाना ही दे सकती है.

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