भारत की सबसे बड़ी रियल-मनी गेमिंग कंपनियों में से एक के कर्मचारी 20 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर स्थित अपने ऑफिस में दाख़िल हुए. लेकिन कोई काम नहीं कर रहा था. पेटीएम फ़र्स्ट गेम्स के मार्केटिंग प्रोफ़ेशनल सौरव माथुर (बदला हुआ नाम) ने बताया, ‘आम चहल-पहल गायब थी, और किसी ने अपना लैपटॉप नहीं खोला था. बस कुछ सहकर्मी एक साथ बैठे थे और आगे क्या होगा, इस पर चर्चा कर रहे थे. साफ-साफ कह देना कि दूसरे मौके तलाशने हैं, किसी के करियर का सबसे बुरा एहसास होता है.’
लाखों लोगों के जीवन पर संकट
नौकरी छूटने का डर और रातोरात खत्म हो चुके सेक्टर में नौकरी की तलाश की चिंता हर किसी के मन में थी. ये वे लोग हैं जिन्हें अपने परिवार का पालन-पोषण करना है, घर और कार का लोन चुकाना है, स्कूल की फीस भरनी है और बुज़ुर्ग माता-पिता की देखभाल करनी है. माथुर करीब दो लाख उन प्रोफेशनल्स में से एक हैं जो गेम डेवलपमेंट, प्लेटफ़ॉर्म मैनेजमेंट, कस्टमर सपोर्ट, मार्केटिंग और डेटा एनालिटिक्स सेक्टर में काम कर रहे हैं. 30 वर्षीय सौरव माथुर ने सरकार की तरफ से प्रतिबंध लगाने के फैसले पर कहा, ‘यह ऐसी स्थिति थी, जहां आपने जो कुछ भी बनाया था, वह बिना किसी पूर्व चेतावनी के कुछ ही घंटों में ढह गया.’
इस घटना से एक दिन पहले यानी 19 अगस्त को, प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 (Promotion and Regulation of Online Gaming Bill) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दे दी थी. इसे लोकसभा में पेश किया गया और 20 अगस्त को कुछ ही घंटे में पारित कर दिया गया. उसके बाद 21 अगस्त को राज्यसभा ने भी इसे मंज़ूरी दे दी. आखिरकार 22 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर साइन करके इसे कानून बना दिया.
अब, पूरे भारत में रियल मनी वाले खेलों पर प्रतिबंध लागू होने से पहले, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का एक नोटिफिकेशन ही बाकी है. इस विधेयक ने कानून बनने की तीन दिन की रेस में सभी बाधाओं को पार कर लिया है. सरकार ने कहा है कि ऑनलाइन गैंबलिंग यानी जुआ परिवारों को बर्बाद कर रहा है और सुरक्षा के लिए खतरा बन रहा है. पिछले कुछ दिनों में, रियल मनी वाली गेमिंग कंपनियों के टॉप मैनेजमेंट ने टाउनहॉल आयोजित किए और कई ने ऐलान किया कि उनके ऑपरेशंस तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएंगे.
ड्रीम11, पेटीएम फर्स्ट गेम्स, जंगली गेम्स और अड्डा52 सहित कई गेमिंग प्लेटफॉर्म के कर्मचारियों और स्किल और चांस गेम खेलने वालों ने इंडिया टुडे डिजिटल से इस शर्त पर बात की कि उनकी पहचान उजागर नहीं की जाएगी. ये असली ज़िंदगी जीने वाले असली लोग हैं जो एक ऐसे सेक्टर में रोज़गार के संकट से जूझ रहे हैं जो एक दिन में ही खत्म हो गया. ये लोग, जिन्होंने वर्षों से इस सेक्टर में खुद को महारथी बनाया है, चिंतित हैं कि अपनी पहचान शेयर करने से उनके बचे-खुचे करियर पर भी असर पड़ सकता है.
जल्दबाजी में लगाए गए प्रतिबंध के कारण ड्रीम11, एमपीएल, ज़ूपी, पेटीएम फर्स्ट गेम्स, गेम्स24×7, जंगली गेम्स और अड्डा52 जैसी कंपनियों को करीब रातोरात रियल-मनी गेमिंग ऑपरेशन बंद करना पड़ा, जिससे हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए.
इंडस्ट्रीज एसोसिएशन का अनुमान है कि प्रतिबंध से पहले भारत के 30,000 करोड़ रुपये (करीब 3.7 अरब डॉलर) के रियल-मनी गेमिंग सेक्टर ने दो लाख से ज़्यादा नौकरियां पैदा की थीं. फिर कुछ भारतीय ऐसे भी हैं जो शेयर बाज़ार के व्यापारियों की तरह पेशेवर तौर पर स्किल बेस्ड गेम खेलते थे और उन पर निर्भर रहते थे. वे भी अपनी आय के सोर्स खत्म होते देखने के कगार पर हैं.
नौकरियों के नुकसान के अलावा, इस प्रतिबंध से विज्ञापन क्षेत्र और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए और भी बड़े खतरे हैं. इससे सरकार को सालाना अनुमानित 20,000 करोड़ रुपये के टैक्स रेवेन्यू का नुकसान भी होगा. इससे भी बदतर बात यह है कि प्लेयर्स डार्क वेब पर अनियमित ग्रे मार्केट की ओर शिफ्ट हो सकते हैं, जहां धोखाधड़ी और लत का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है.
10 साल में बना करियर कुछ ही दिन में खत्म
कई लोगों के लिए, रियल मनी वाले गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध ने वर्षों की कड़ी मेहनत को बर्बाद कर दिया है. ड्रीम11 की फॉरमर वाइस प्रेसिडेंट (पॉलिसी कम्युनिकेशन ) स्मृता सिंह चंद्रा, जिन्होंने कंपनी के साथ करीब एक दशक तक काम किया है. उनका कहना है, ‘इस वाइब्रेंट, स्किल बेस्ड इंडस्ट्री को रातोरात प्रतिबंधित करना- बिना किसी बदलाव, बारीकियों या आर्थिक वास्तविकताओं को समझे, न सिर्फ गलत है, बल्कि इससे वर्षों की प्रोग्रेस पर पानी फिरने और लाखों यूजर्स, भागीदारों, कर्मचारियों और व्यापक इंडियन स्पोर्ट्स इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचने का खतरा है.’
मुंबई स्थित ड्रीम11 के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने बताया, ‘सिर्फ नौकरियां ही नहीं गईं, बल्कि विशेषज्ञता भी चली गई है, जिसका अब कोई इस्तेमाल नहीं रह गया है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे ज़िंदगी में स्थिरता पाने में 10 साल लग गए. मैंने अभी-अभी शादी की है, मेरे माता-पिता की इच्छा से पांच साल बाद, क्योंकि मैं पहले आर्थिक रूप से सुरक्षित होना चाहता था. इस तरह की अनिश्चितता को तब तक समझाना असंभव है जब तक आप अपने करियर को मिट्टी में मिलते न देख लें.’
सौरव माथुर ने कहा कि उनके पास बड़े प्रोजेक्ट थे और उनका जीवन पहले से ज्यादा स्थिर लग रहा था. इस सेक्टर में काम करने वाले कई प्रोफेशनल्स 30 साल की उम्र के हैं, जो ईएमआई, कार लोन, युवा परिवारों और बच्चों के बीच संतुलन बनाए रखने में लगे हैं.
अड्डा52 के एक कर्मचारी ने को बताया, ‘एक सहकर्मी की पत्नी, जो गर्भवती थी, को उसके चिंतित भाई का फोन आया और उसने पूछा कि अब क्या होगा. इस कॉल ने उसे बहुत प्रभावित किया, क्योंकि कुछ ही महीनों में उसकी डिलीवरी होने वाली है.’ उन्होंने बताया कि किस तरह परिवारों और रिश्तेदारों में डर फैल गया है.
माथुर ने बताया, ‘मेरे एक पूर्व सहकर्मी ने इस्तीफ़ा देने के बाद 40% वेतन वृद्धि वाली नई कंपनी में नौकरी कर ली थी. उन्हें बताया गया कि नई कंपनी को उनकी ज़रूरत नहीं है. एक और सहकर्मी दो महीने पहले ही अपने परिवार के साथ दिल्ली से बेंगलुरु शिफ्ट हुआ है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘अपने करियर की शुरुआत से ही सिर्फ रियल मनी वाली गेमिंग इंडस्ट्री में काम करने के बाद, अब मैं एक नए सेक्टर की तलाश में हूं. प्रतिबंध ने सुरक्षा की उस भावना को हिला दिया है.’
कितना बड़ा ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर?
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस सेक्टर में करीब दो लाख लोग सीधे तौर पर कार्यरत थे. लेकिन अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि छोटी कंपनियों से आउटसोर्स किए गए कस्टमर सपोर्ट को शामिल करने पर असल संख्या तीन लाख के करीब हो सकती है. इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि ड्रीम11, एमपीएल, पोकरबाजी और ज़ूपी जैसे बड़े नामों के पास बड़ी इन-हाउस टीमें थीं, जबकि सैकड़ों छोटी कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों पर निर्भर थीं, जो अब अनिश्चितता में हैं. सरकार ने मुख्य तौर पर यूजर्स पर फोकस किया है और इस सेक्टर के लाखों वर्कर्स को नजरअंदाज किया है जो सीधे तौर पर प्रभावित होंगे.
पीआईबी की ओर से जारी एक बयान में, सरकार ने कहा कि ऑनलाइन मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स ने व्यापक नुकसान पहुंचाया है. बयान में कहा गया है, ‘परिवारों ने अपनी जमा-पूंजी गंवा दी है. युवा इसकी लत में फंस गए हैं. कुछ दिल दहला देने वाले मामलों में, इन खेलों से जुड़ी आर्थिक तंगी के कारण सुसाइड भी हुई हैं.’ केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने इस समस्या का समाधान बताया.
वैष्णव ने कहा, ‘ऑनलाइन मनी गेम्स से 45 करोड़ लोग नकारात्मक रूप से प्रभावित हैं और इसके कारण उन्हें 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो रहा है.’ उन्होंने बताया कि केंद्र ने ऑनलाइन मनी गेमिंग पर प्रतिबंध क्यों लगाया. हालांकि, इसमें उन नौकरियों का कोई जिक्र नहीं किया गया जो खत्म हो जाएंगी, या इसके नतीजन पैदा होने वाली बेरोजगारी से निपटने के लिए किसी योजना का भी जिक्र नहीं किया गया.
भारत में लाखों लोग हो जाएंगे बेरोजगार
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने मनीकंट्रोल को बताया कि सरकार ‘इससे प्रभावित लोगों की मदद के लिए हर संभव कोशिश करेगी’. लेकिन कर्मचारी इस बात से पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने इन उपायों का कोई ब्यौरा नहीं दिया. मुंबई स्थित ड्रीम11 के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने कहा, ‘देश में पहले से ही बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है. अगर सरकार के पास कोई ठोस प्लान नहीं है, तो इससे लाखों लोग और बेरोजगार हो जाएंगे.’ कुछ कंपनियां इस झटके को कम करने की कोशिश कर रही हैं.
जंगली गेम्स की गुरुग्राम स्थित सीनियर मैनेजर गौरी मित्तल ने कहा, ‘कुछ कंपनियां अन्य सेक्टर में प्रभावित प्रोफेशनल्स को एक साथ लाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन रियल मनी वाले गेमिंग के लिए समर्पित फर्मों के लिए आगे का रास्ता बंद है.’
31 वर्षीय मित्तल ने कहा, ‘कुछ कंपनियों ने सेवानिवृत्ति भत्ते के तौर पर तीन महीने तक का एडवांस सैलरी ऑफर की है.’ उन्होंने कहा कि लाखों लोगों का भाग्य अब न्यायिक प्रक्रिया पर निर्भर है. मुंबई में ड्रीम11 के एक अन्य कर्मचारी कौशल ने कहा कि कंपनी ने उन्हें भरोसा दिया था कि वह किसी न किसी रूप में वापसी करेगी, लेकिन इससे कोई वास्तविक राहत नहीं मिलती है.
उन्होंने कहा, ‘हजारों चिंतित कर्मचारी अपने लैपटॉप से चिपके हुए हैं और पहले से ही कठिन जॉब मार्केट में नौकरियों के लिए अप्लाई कर रहे हैं.’ कौशल ने अपने एक वरिष्ठ नागरिक की आशंकाओं को शेयर किया, जिनका एक 1.5 साल का बेटा है और हाल ही में वह महाराष्ट्र के पवई में अपने 1BHK फ्लैट से 2BHK फ्लैट में रहने चले गए हैं. कौशल ने कहा, ‘उनके घर के लोन की किश्त ही एक लाख रुपये प्रति माह है. उनके लेवल के किसी व्यक्ति के लिए इतने कम समय में बराबर सैलरी वाली नई नौकरी पाना बेहद मुश्किल है.’
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों का क्या है प्लान?
ड्रीम11 के वरिष्ठ कर्मचारी ने कहा कि कंपनी स्पोर्ट्ज़ ड्रिप और फैनकोड जैसे नॉन-रियल मनी वाले प्लेटफार्मों की तलाश कर रही थी, जबकि अन्य लोग स्क्रैच से प्रोडक्ट बनाने पर विचार कर रहे थे. स्पोर्ट्ज़ ड्रिप और फैनकोड ऐसे प्लेटफ़ॉर्म हैं जहां यूजर्स फ़ैंटेसी स्पोर्ट्स में शामिल हो सकते हैं या बिना रियल मनी लगाए खेल सकते हैं. कैश प्राइज के बजाय, ये पॉइंट्स, रिवॉर्ड या अन्य नॉन-मॉनेटरी देते हैं. ड्रीम11 के कर्मचारी ने कहा, ‘लेकिन अगर कंपनियां नए प्रोजेक्ट शुरू करते हैं, तो उन्हें इतने लोगों की जरूरत नहीं होगी.’
इंडस्ट्री के एक अंदरूनी सूत्र, जिन्होंने कई कंपनियों के साथ काम किया है, ने बताया कि कुछ कंपनियों के यूजर्स अन्य एशियाई देशों, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में भी थे, लेकिन उस मार्केट का योगदान कुल रेवेन्यू में सिर्फ 20-25% ही था. उन्होंने कहा कि अगर भारत में आधार खत्म हो गया तो अस्तित्व बनाए रखना बहुत कठिन हो जाएगा.
गेमिंग बैन करने की क्या होगी कीमत?
जंगली गेम्स के एक कंटेंट स्ट्रैटेजिस्ट ने बताया कि इसका प्रभाव फिनटेक, विज्ञापन और कंटेंट क्रिएशन जैसे अन्य सेक्टर्स पर भी पड़ेगा. सूत्रों के मुताबिक इस कदम के व्यापक आर्थिक परिणाम होंगे. ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री फिनटेक और पेमेंट गेटवे जैसे सेक्टर्स से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने भारत में काफी प्रोग्रेस देखी है. यहां तक कि विज्ञापन पर भी असर पड़ेगा. कंटेंट स्ट्रैटेजिस्ट ने कहा, ‘यह सिर्फ गेमिंग इंडस्ट्री के लिए ही झटका नहीं है, बल्कि इससे इससे जुड़े सभी लोग प्रभावित होंगे.’
रियल मनी वाले गेमिंग पर प्रतिबंध से कंटेंट निर्माता, स्ट्रीमर्स, तकनीकी टीमों, प्रायोजकों और यहां तक कि सेलिब्रिटी एंडोर्सर्स में भी खलबली मच गई है. यह न सिर्फ उन बड़ी कंपनियों के लिए बुरा है जिन्होंने भारी निवेश किया है, बल्कि देश के पूरी बिजनेस सेंटीमेंट लिए भी बुरा है. पूंजी और प्रतिभा के बाहर जाने की संभावना है.
बिजनेसमैन कविन मित्तल की एक पोस्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि उनका प्लेटफ़ॉर्म Rush, भारत में अपने सभी ऑपरेशन बंद कर रहा है और अपना मुख्यालय अमेरिका ले जा रहा है. मित्तल ने एक्स पर लिखा, ‘भारत में रश के निर्माण के चार साल के बाद, हमने एक कठिन फैसला लिया है. भारत से पूरी तरह बाहर निकलना और पूरी तरह से अमेरिका और वैश्विक बाजारों में दाखिल होगा.’ उन्होंने कहा कि यह उन उद्यमियों, डेवलपर्स और टीमों के लिए निराशाजनक है, जिन्होंने इस सेक्टर के निर्माण में अपना दिल और अरबों डॉलर लगा दिए.
स्टॉक ट्रेडिंग कानूनी, तो गेमिंग पर बैन क्यों?
उद्योग जगत के जानकारों ने गैंबलिंग और स्किल बेस्ड गेमिंग के बीच साफ अंतर बताया. उन्होंने तर्क दिया कि अगर सरकार स्किल बेस्ट गेमिंग पर प्रतिबंध लगा सकती है, तो उसे शेयर बाजार में ट्रेडिंग, खासकर हाई रिस्क फ्यूचर्स और ऑपर्शन (F&O) सेगमेंट पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए.
सेबी की 2024 की एक रिपोर्ट से पता चला है कि वित्त वर्ष 2022 से तीन साल में 93% से ज्यादा रिटेल F&O ट्रेडर्स को नुकसान हुआ है. इंडस्ट्री के एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि ऑनलाइन गेमिंग में जीत का प्रतिशत करीब 15-20% है. सेबी के मुताबिक, पिछले तीन साल में F&O मार्केट में 1.1 करोड़ से ज़्यादा रिटेल ट्रेडर्स को सामूहिक रूप से 1.81 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. हर व्यापारी को औसतन 2 लाख रुपये का नुकसान हुआ.
पूर्ण प्रतिबंध नहीं, रेगुलेशन जरूरी
भारत में शराबबंदी कभी कारगर नहीं रही. वास्तव में, इससे अक्सर इंडस्ट्री अंडरग्राउंड हो जाती है. यह महसूस करते हुए कि अनियमित और संभावित रूप से असुरक्षित ऑपरेटर कंट्रोल हासिल कर सकते हैं, अखिल भारतीय गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखा कि यह कानून ‘गंभीर नुकसान पहुंचाएगा और प्लेयर्स को रातोरात भाग जाने वाले ऑपरेटरों के हाथों में पहुंचा देगा.’ यह बात भारत में प्रतिबंधित जुआ खेलने के मामले में काफी हद तक सच है. यूज़र्स के मुताबिक, कई गेम ऑफ चांस खेलने की सुविधा वीपीएन के ज़रिए उपलब्ध है और वे नियमित रूप से खेलते रहते हैं.
शशांक भाटिया (बदला हुआ नाम) ने कहा, ‘जो लोग जुआ खेलना चाहते हैं, उन्हें जुआ खेलने से कोई नहीं रोक सकता. मैं वीपीएन के जरिए स्टेक (वेबसाइट) का इस्तेमाल जारी रखूंगा.’ भाटिया नियमित रूप से भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजी ऐप्स और ऑनलाइन गेमिंग वेबसाइटों का इस्तेमाल करते हैं. भाटिया की इस बयान से पता चलता है कि इस डिजिटल युग में लोगों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से दूर रखना लगभग असंभव है.
इसके अलावा, पूर्ण प्रतिबंध से सरकार का इस सेक्टर पर कोई कंट्रोल नहीं रहेगा. तीन ताल पॉडकास्ट में ताऊ के नाम से मशहूर व्यंग्यकार और कॉलमिस्ट कमलेश सिंह ने कहा, ‘अगर यह कानूनी है, तो टैक्स सरकार को जाता है. अगर यह अवैध है, तो टैक्स राजनेताओं को जाता है.’
किसी भी राज्य में सफल नहीं शराबबंदी
पूर्ण प्रतिबंध कारगर नहीं होता, इसका उदाहरण राज्यों में शराबबंदी की कोशिशो से मिलता है. भारत के सभी शराबबंदी वाले राज्यों में शराब उपलब्ध है. हालांकि, आबकारी से होने वाली मोटी कमाई की बलि देने वाली सरकारों के पास इस सीक्रेट बिजनेस को कंट्रोल करने का कोई उपाय नहीं है, और नकली शराब से अनगिनत लोग मारे जा रहे हैं.
भारत में कोई भी पूर्ण प्रतिबंध कारगर नहीं रहा है, और किसी भी चीज को नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका सभी स्टेक होल्डर्स को शामिल करके उसे रेगुलेट करना है. लेकिन रियल मनी वाले खेलों पर प्रतिबंध के मामले में, सरकार ने इंडस्ट्री से सलाह किए बिना प्रतिबंध लागू कर दिया है, जिसके कारण हजारों लोगों को नौकरी छूटने और आर्थिक अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है.
एक ऐसे देश में जहां बेरोज़गारी दर बहुत ज़्यादा है, बिना किसी सूचना या चेतावनी के, एकमुश्त प्रतिबंध लाखों लोगों की आजीविका पर गहरा असर डालेगा. रियल मनी वाले गेमिंग में काम करने वाले लोग असल ज़िंदगी जीने वाले असली लोग थे, जिन्हें कर्ज़ चुकाना था, स्कूल की फ़ीस देनी थी और खाने का जुगाड़ करना था.