स्मृति ईरानी को मिली बड़ी राहत, दिल्ली HC ने 10-12वीं की परीक्षा की जांच के आदेश को किया खारिज

दिल्ली हाईकोर्ट ने आज सोमवार को पीएम मोदी के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से जुड़े सर्टिफिकेट मामले में अहम फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने सीबीएसई को आरटीआई के तहत यह जानकारी देने का निर्देश देने वाले उस आदेश को खारिज कर दिया कि स्मृति ईरानी ने साल 1991 और 1993 में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं पास की थीं या नहीं.

जस्टिस सचिन दत्ता ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित आदेश में केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission (CIC) का पूरा दृष्टिकोण ही पूरी तरह से गलत था. हाईकोर्ट ने कहा, “यह निष्कर्ष निकालना कि किसी शख्स विशेष की डिग्री, अंक या परिणाम से संबंधित जानकारी ‘सार्वजनिक सूचना’ के तहत आती है, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट बनाम सुभाष चंद्र अग्रवाल केस में देश की शीर्ष अदालत की ओर से दिए गए फैसले का प्रत्यक्ष और पूर्णतः उल्लंघन है.”

जानकारी के पीछे कोई जनहित नहीं दिख रहा

अपने फैसले में जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि आरटीआई एक्ट की धारा 3 के तहत प्रदत्त सूचना का अधिकार पूर्ण नहीं है, बल्कि धारा 8(1) के तहत उल्लिखित छूट के अधीन है. कोर्ट ने कहा, “कुछ मौकों पर कुछ सूचनाओं को प्रकाशित करने मात्र से आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(जे) के तहत व्यक्तिगत जानकारी को दी गई कानूनी सुरक्षा से कम नहीं होती है.”

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि वर्तमान मामले (W.P.(C) 1051/2017) में, आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी के खुलासे को लेकर “कोई जनहित” निहित नहीं है. साथ ही यह भी कहा, “संबंधित शैक्षणिक योग्यताएं किसी भी सार्वजनिक पद पर आसीन होने या आधिकारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए किसी भी वैधानिक जरुरत के नेचर की नहीं हैं.”

PM मोदी की स्नातक डिग्री से जुड़ी याचिका भी खारिज

जस्टिस दत्ता ने स्मृति ईरानी से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक की डिग्री से संबंधित जानकारी का खुलासा करने के सीआईसी के आदेश को खारिज कर दिया. सीआईसी के आदेश को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से दाखिल की गई इस याचिका समेत कई अन्य याचिकाओं पर आदेश सुनाया.

मोहम्मद नौशादुद्दीन ने स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी मांगते हुए आरटीआई दाखिल किया था. हालांकि पीआईओ और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी ने मामले से जुड़ी जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन सीआईसी ने 17 जनवरी, 2017 को सीबीएसई को रिकॉर्ड्स के निरीक्षण करने और आरटीआई आवेदक की ओर से मांगे गए दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां जारी करने का निर्देश दिया था.

जस्टिस दत्ता ने अपने फैसले में कहा कि बिना किसी सर्वोपरि जनहित के शैक्षणिक जानकारी का खुलासा, व्यक्तिगत क्षेत्र में दखलंदाजी देने जैसा होगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट के केएस पुट्टुस्वामी फैसले के बाद संवैधानिक रूप से संरक्षित किया गया है.

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