हत्या के इरादे से की गई घरेलू हिंसा बेहद गंभीर, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा कि हत्या के इरादे से की गई घरेलू हिंसा को बेहद गंभीर अपराध माना जाएगा और वैवाहिक संबंध ऐसे मामलों में अपराध को कम करने वाला कारक नहीं हो सकते। अदालत ने आरोपी पति की जमानत याचिका खारिज कर दी और ट्रायल कोर्ट को छह महीने के भीतर केस निपटाने का आदेश दिया।

यह मामला एक महिला की हत्या के प्रयास से जुड़ा है। मृतका के भाई ने शिकायत में आरोप लगाया था कि उसकी बहन के पति ने उसे गोली मारकर जान से मारने की कोशिश की। भाई के मुताबिक, शादी के बाद महिला को पता चला कि उसका पति पहले से आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है और 2015 में जेल भी जा चुका है। इसी कारण वह उसके साथ नहीं रहना चाहती थी। शिकायत में यह भी दर्ज है कि जेल से छूटने के बाद आरोपी ने महिला को अपने साथ रहने के लिए मजबूर किया और मना करने पर उसे धमकाया।

एफआईआर के अनुसार, जब महिला ड्यूटी पर थी, आरोपी उसे जबरन ऑटो में बैठाकर ले गया और देसी पिस्तौल से गोली मार दी। इस घटना में महिला गंभीर रूप से घायल हुई और उसे एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। उसके चार ऑपरेशन भी हुए।

आरोपी के वकील का तर्क था कि गोली मारने की घटना आवेश में हुई, क्योंकि पत्नी ने उसके साथ घर जाने से इनकार कर दिया था। लेकिन जस्टिस सवर्णा कांता शर्मा ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि पत्नी द्वारा मना करना अचानक उकसावे की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने साफ कहा कि यह तर्क पितृसत्तात्मक अधिकार की सोच को बढ़ावा देता है, जिसमें पुरुष अपने को पत्नी पर हकदार मानता है।

हाईकोर्ट ने कहा कि वैवाहिक संबंध यहां अपराध को कम नहीं करते बल्कि और गंभीर बनाते हैं, क्योंकि पति ने अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हुए पत्नी पर जानलेवा हमला किया। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि केस छह महीने के भीतर खत्म किया जाए, क्योंकि आरोपी पहले ही लगभग छह साल से न्यायिक हिरासत में है।

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