मऊगंज: जिले के हनुमना विकासखंड के शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय खैरा की हालत किसी जर्जर भवन से कम नहीं है. शिक्षा का अधिकार तो है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां 172 विद्यार्थी एक ही कमरे में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. विद्यालय में 8वीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं और पांच शिक्षक भी तैनात हैं, लेकिन भवन की भारी कमी ने बच्चों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
पेड़ों के नीचे लगती है कक्षाएं
अधिकांश समय बच्चों को पेड़ों की छांव में बैठकर पढ़ना पड़ता है. गर्मी और सर्दी में खुले आसमान के नीचे बैठने की मजबूरी और बरसात में सभी बच्चों का एक ही कमरे में ठूंसा जाना उनकी पढ़ाई में सबसे बड़ी बाधा बन गया है. बच्चे कहते हैं कि शोर-शराबे में पढ़ाई समझना मुश्किल हो जाता है.
अधूरा भवन बना खंडहर
विद्यालय के लिए नया भवन स्वीकृत तो हुआ, लेकिन निर्माण कार्य बीच में ही रुक गया. ठेकेदार काम अधूरा छोड़कर चला गया और अब वह भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है. नियमित शिक्षकों की कमी और प्राचार्य की अनियमित उपस्थिति ने स्थिति और बिगाड़ दी है. यहां तक कि मध्यान्ह भोजन जैसी मूलभूत सुविधा भी समय पर नहीं मिल पाती.
बच्चों की पीड़ा
कक्षा 7वीं की छात्रा नव्या विश्वकर्मा बताती हैं- बरसात में हम सब एक कमरे में ठूंसे रहते हैं. कभी पेड़ के नीचे, कभी उसी एक कमरे में पढ़ना पड़ता है. वहीं कक्षा 3 के छात्र सुमित का कहना है— हम छोटे बच्चे भी पेड़ों के नीचे धूप-बारिश झेलकर पढ़ते हैं. स्कूल की कोई सही व्यवस्था नहीं है.
प्रशासन का जवाब
विकासखंड शिक्षा अधिकारी नरेंद्र मिश्रा का कहना है कि विद्यालय भवन का काम अब तक अधूरा है, जिससे बच्चों को एक कमरे में बैठाना मजबूरी है. उन्होंने बताया कि अतिरिक्त भवन की व्यवस्था की जा रही है ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके.