वनतारा विवाद के बीच छत्तीसगढ़ का सफेद भालू और हिरण वापस लाने की मांग तेज

गुजरात के जामनगर स्थित अंबानी के वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यहां जानवरों की तस्करी, वित्तीय अनियमितता और दुर्व्यवहार के आरोपों की जांच के लिए SIT का गठन किया है। इस विवाद के बीच छत्तीसगढ़ से भेजे गए दुर्लभ सफेद भालू और हिरण को वापस लाने की मांग उठने लगी है।

जानकारी के मुताबिक, अप्रैल 2025 में नवा रायपुर जंगल सफारी से सफेद भालू और हिरण को वनतारा भेजा गया था। इसके बदले छत्तीसगढ़ को ज़ेब्रा का जोड़ा, माउस डियर और मीर कैट मिले थे। लेकिन क्वारेंटाइन के दौरान नर ज़ेब्रा को सांप ने डस लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। फिलहाल मादा ज़ेब्रा, मीर कैट और माउस डियर क्वारेंटाइन में ही हैं।

वन्य प्राणी प्रेमियों ने आरोप लगाया है कि वन विभाग ने बिना उचित प्रोटोकॉल का पालन किए ही इन दुर्लभ जानवरों को भेज दिया। वहीं, वन्यजीव बोर्ड के पूर्व सदस्य प्राण चड्ढा ने भी वनतारा प्रोजेक्ट पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

जंगल सफारी में विदेशी जानवरों के लिए 12 करोड़ रुपये खर्च कर आठ नए बाड़े बनाए गए थे, लेकिन अब भी वे खाली पड़े हैं। जेब्रा और जिराफ जैसे जानवरों को लाने की योजना थी, पर हालात बिगड़ने से यह प्रयास विफल हो गया।

उधर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT को 12 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देनी है। यह टीम वन्यजीव आयात-निर्यात, तस्करी, पशु कल्याण और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग जैसे मुद्दों की जांच करेगी। SIT की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर कर रहे हैं।

इसी बीच हथिनी माधुरी का मामला भी चर्चा में है, जिसे बॉम्बे हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वनतारा भेजा गया। कोल्हापुर में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए और धार्मिक भावनाएं आहत होने की बात कही गई।

अब जब वनतारा विवाद गहराता जा रहा है, छत्तीसगढ़ से भेजे गए सफेद भालू और हिरण की वापसी की आवाज़ और बुलंद हो गई है। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन प्राणियों को उनके प्राकृतिक परिवेश में ही सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

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