गाजीपुर: मगई के बाढ़ से प्रभावित किसानों ने तहसील प्रशासन पर लगाए आरोप, सौंपा ज्ञापन

गाजीपुर: अभी पिछले दिनों गंगा में बाढ़ आई हुई थी और गंगा में बढ़ते जलस्तर के चलते कई छोटी नदियां भी उफ़ान पर आ गई थी और इस छोटी नदी में एक मगई नदी भी शामिल है, जो मोहम्मदाबाद तहसील के करईल इलाके के लिए बिहार की कोसी कहा जाता है. क्योंकि इसका पानी जब किसानों के खेतों में चला जाता है, तो किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है. कुछ यही हाल गंगा में बढ़ते जलस्तर के कारण हुआ था जिसके कारण भांवरकोल इलाके के कई गांव में मगई के पानी से भर चुके थे और मौजूदा समय में भी अभी उनके खेतों में पानी है.

कुछ दिनों तो लोग पानी की वजह से अपने घरों और गांव में कैद हो चुके थे, लेकिन अब बाढ़ का पानी कम होने के बाद लोगों का आवागमन शुरू हो पाया है. लेकिन यहां के गांव वालों का यह कहना है कि जब से उनके गांव में बाढ़ का पानी घुसा है और अब तक कोई भी जिम्मेदार प्रशासन का अधिकारी तहसीलदार एसडीएम या अन्य कोई भी उनके गांव में किसानों का और ग्रामीणों का हाल-चाल लेने तक के लिए नहीं गया. यहां तक की बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए अब तक कोई राशन सामग्री का भी वितरण नहीं किया गया.

वहीं अब किसानों की सबसे बड़ी समस्या है कि किसान खरीफ की फसल के लिए बैंकों से ऋण लेकर किसी तरह से धान के फसल की रोपाई किए थे, लेकिन मंगई नदी का बाढ़ आ जाने के कारण उनकी संपूर्ण खेती जो करीब 400 एकड़ से अधिक में फैली हुई है. पूरी तरह से डूब कर नष्ट हो गई है. जिला प्रशासन के द्वारा भी फसल के नुकसान का आकलन किया जा रहा है, लेकिन उनके गांव में किसी अधिकारी के न जाने के कारण ग्रामीणों के द्वारा 7 अगस्त को आइजीआरएस भी डाला गया. लेकिन अभी तक कोई भी जिम्मेदार राजस्व का अधिकारी उनके गांव में फसल के नुकसान का आकलन करने के लिए नहीं पहुंचा.

इन्हीं सब समस्याओं को लेकर पीड़ित किसान जिला अधिकारी के जनता दर्शन में पहुंचकर अपनी समस्याओं से संबंधित पत्रक सौपा. इस संबंध में अपर जिला अधिकारी एवं आपदा प्रबंधन प्रभारी दिनेश कुमार ने बताया कि अभी बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन का कार्य चल रहा है और अभी आगे भी चलता रहेगा. ऐसे में अब उनके गांव में यदि किसी कारण बस राजस्व के अधिकारी नहीं पहुंचे हैं तो वहां भी जरूर पहुंचेंगे और उनके नुकसान का आकलन किया जाएगा.

साथ ही राहत सामग्री के बाबत बताया कि राहत सामग्री वितरण करने के लिए एक मानक होता है. यदि उसे मानक के दायरे में नहीं आते होंगे इसलिए राहत सामग्री उनके गांव में वितरित नहीं की गई होगी. इसकी वह जांच करेंगे, यदि किसी की भी कोई लापरवाही होगी तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.

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