डीएमके प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने बिहार में आयोजित एक रैली में तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट से किसी का नाम हटाना आतंकवाद से भी बड़ा अपराध है। स्टालिन राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के समर्थन में मुजफ्फरपुर पहुंचे थे, जहां उन्होंने भीड़ को संबोधित किया।
स्टालिन ने अपनी स्पीच तमिल भाषा में दी, जिसे वहां मौजूद अनुवादक ने हिंदी में समझाया। इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र तभी सुरक्षित रहेगा जब हर नागरिक को मतदान का अधिकार पूरी तरह से मिले। उन्होंने कहा कि अगर वोटर लिस्ट से नाम हटाकर लोगों को वोट देने से रोका जाएगा तो यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर करने जैसा है।
उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि राजनीतिक फायदे के लिए चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी की जा रही है। स्टालिन ने कहा कि लोकतंत्र का सबसे बड़ा हथियार वोट है और इसे किसी भी कीमत पर छीना नहीं जा सकता। उनका कहना था कि जनता ही देश की असली ताकत है और उसे अपनी सरकार चुनने का हक मिलना चाहिए।
इस रैली में स्टालिन ने हिंदी भाषा के विरोध को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत उसकी विविधता है और किसी एक भाषा को थोपना सही नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे क्षेत्रीय भाषाओं और मातृभाषाओं के सम्मान की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होकर स्टालिन ने विपक्षी एकजुटता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि अगर जनता एकजुट हो जाए तो किसी भी सत्ता को बदल सकती है।
इस दौरान रैली में मौजूद लोगों ने भी स्टालिन के बयानों पर जोरदार प्रतिक्रिया दी। कई लोगों ने कहा कि उनका मुद्दा सीधे जनता के अधिकारों से जुड़ा है। स्टालिन का यह बयान न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में चुनावी माहौल को और गर्म करने वाला माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि स्टालिन का यह बयान वोटरों को आकर्षित करने और विपक्षी गठबंधन की ताकत दिखाने की रणनीति का हिस्सा है। आने वाले दिनों में इसका असर चुनावी राजनीति में देखने को मिल सकता है।