वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी टैरिफ के चलते मची उथल-पुथल के बीच भारत के लिए एक ‘गुड न्यूज’ आई है. EY की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत साल 2038 तक क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के मामले में 34.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. बता दें कि EY की रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के लगाए गए अनुमानों पर आधारित है.
यह है भारत की सबसे बड़ी ताकत
रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया है कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी जनसंख्या है. भारत की औसत आयु 2025 में महज 28.8 वर्ष है. बचत दर के भी मामले में भारत पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर है. सरकार का ऋण-जीडीपी अनुपात 2024 के 81.3 परसेंट से घटकर 2030 तक 75.8 परसेंट तक होने का अनुमान है, जबकि इसके समकक्ष देशों में ऋण का स्तर बढ़ रहा है.
यह अनुपात यह दिखाता है कि किसी देश के पास उसके सालाना उत्पादन के मुकाबले में कितना कर्ज है और इस कर्ज को चुकाने की उसकी कितनी क्षमता है. इससे किसी देश की आर्थिक स्थिति का पता चलता है. आईएमएफ की एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक 20.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक चीन पीपीपी मोड पर अपनी अनुमानित 42.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की इकोनॉमी के साथ सबसे आगे बना रहेगा. हालांकि, चीन के सामने भी दो चुनौतियां हैं- उसकी बढ़ती आबादी और बढ़ते कर्ज का दबाव.
अमेरिका इस मामले में मजबूत जरूर बना हुआ है, लेकिन उसे भी अपनी जीडीपी के मुकाबले 120 परसेंट अधिक कर्ज और धीमी विकास दर का सामना करना पड़ रहा है. जर्मनी और जापान की स्थिति भले ही बेहतर हैं, लेकिन यहां मध्यम आयु वर्ग के लोगों की संख्या अधिक है और वैश्विक व्यापार पर इनकी निर्भरता काफी ज्यादा है.
इसके विपरीत, भारत में युवाओं की जनसंख्या सबसे ज्यादा है, घरेलू मांग बढ़ रही है और जीडीपी-ऋण के बीच बैलेंस बना हुआ है, जो इसके लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए सबसे जरूरी है.
टैरिफ का कितना होगा असर?
अमेरिका का भारत पर लगाया गया 50 परसेंट टैरिफ कल से लागू हो चुका है. इसमें 25 परसेंट का बेसलाइन टैरिफ और 25 परसेंट रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर लगाई गई पेनाल्टी है. इसे लेकर EY ने कहा, अमेरिकी टैरिफ लगभग 0.9 परसेंट तक भारत की जीडीपी पर असर डाल सकता है. हालांकि, मजबूत घरेलू मांग, ट्रेडिंग पार्टनरशिप को आगे बढ़ाने और निर्यात के कई और रास्ते निकालकर जीडीपी पर इसके असर को केवल 0.1 पर समेटा जा सकता है.