हाथी प्रभावित भरतपुर के जनकपुर में लोग स्कूल में रात गुजारने को मजबूर हैं. दरअसल बहरासी रेंज के बरेल इलाके में जंगली हाथी घुस आया है. हाथी लगातार इलाके में भाग दौड़ कर रहा है. हाथी की मौजूदगी से गांव वाले काफी डरे हुए हैं. जनकपुर के ग्रामीणों का कहना है कि हाथी की वजह से वो तीन दिनों से स्कूल में रात गुजार रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि हाथी ने खेतो में लगी उनकी फसलों को भी रौंद दिया है. कई मकानों को भी हाथी ने क्षतिग्रस्त कर घर में रखा धान खा लिया है.
गांव में घुसा हाथी: ग्रामीणों का कहना है कि हाथी पार्क परिक्षेत्र के लावाहोरी इलाके में सुबह 3 बजे के करीब पहुंचा. दंतैल हाथी ने इलाके में आते ही किसान रामप्रासद के घर की दीवार तोड़ दी. घर की दीवार तोड़ने के बाद बाड़ी में लगे मक्के के खेतों को रौंद दिया. किसान जब तक वन विभाग की इसकी सूचना देता तबतक हाथी जंगल की ओर लौट गया. ग्रामीणों की सूचना पर अब वन विभाग की टीम इलाके में किसानों को लगातार मुनादी के जरिए अलर्ट कर रही है.
वन विभाग ने जारी किया अलर्ट: वन विभाग ने किसानों से कहा कि हाथी के करीब जाने की कोशिश नहीं करें. जंगल की ओर भी किसानों के जाने पर पाबंदी लगाई गई है. ग्रामीण चाहते हैं कि जल्द से जल्द वन विभाग की टीम हाथी को वापस जंगल की ओर खदेड़ दे. गांव के करीब हाथी के लगातार पहुंचने से इलाके के लोग दहशत में है.
नुकसान का हर्जाना चाहते हैं ग्रामीण: जिन ग्रामीणों के मकानों को हाथी ने नुकसान पहुंचाया है वो ग्रामीण अब वन विभाग से आर्थिक मुआवजा चाहते हैं. किसानों का कहना है कि उनकी फसल और मकान दोनों का नुकसान हुआ है. वन विभाग जल्द से जल्द उसका सर्वे कर नुकसान की भरपाई करे.
हाथी की मॉनिटरिंग कर रहा वन विभाग: गांव के करीब डटे हाथी को भगाने की कोशिश में वन विभाग लगातार जुटा है. वन विभाग की एक टीम हाथी की लगातार मॉनिटरिंग भी कर रहा है. गांव वालों से कहा जा रहा है कि वो हाथी से सावधान रहें. जरुरत पड़ने से पर सुरक्षित स्थान पर पनाह लें.
हाथियों की मुश्किलें: दरअसल कटते जंगल और भोजन की कमी के चलते हाथी लगातार रिहायशी इलाके में खाने की तलाश में पहुंच जाते हैं. जंगल में जिस तरह के पेड़ पौधे हाथियों के खाने लायक हैं उनकी कमी होती जा रही है. हाथियों को बरगद, पीपल और गन्ना पंसद है. ऐसे में इनकी कमी होने पर हाथी जंगल छोड़ रिहायशी बस्तियों का रुख कर रहे हैं. अपने झुंड से बिछड़ा हुआ हाथी भी अक्सर ज्यादा उत्पात मचाता है.
हादसों के शिकार भी हो रहे हाथी: इंसान और हाथियों के बीच भी लगातार संघर्ष बढ़ रहा है. घटते जंगलों और चारागाह के कम होने से हाथी रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे हैं. हाथियों के एक राज्य से दूसरे राज्य के जंगल में जाने के दौरान कई जगहों पर रोड और रेलवे लाइन बन चुकी है. कई बार हाथी रेलवे लाइन या बड़ी गाड़ियों के चपेट में भी आ जाते हैं. हाथियों को इन हादसों से बचाने के लिए कई राज्यों में एलिफैंट कॉरिडोर भी बनाए गए हैं.
इन राज्यों में बने हैं एलिफैंट कॉरिडोर
- सेंट्रल इंडिया: छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार
- इस्टर्न इंडिया: पश्चिम बंगाल, ओडिशा
- दक्षिणी भारत: केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु
- नार्थ इस्ट इंडिया: असम और मेघालय