राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ कहा कि 75 साल की उम्र में राजनीति या जिम्मेदारियों से अलग होने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “न मैं रिटायर होऊंगा और न ही किसी को रिटायर होने के लिए कहूंगा. जब तक चाहें और जब तक संगठन चाहे, हम काम कर सकते हैं.”
भागवत से यह सवाल तब पूछा गया जब हाल ही में उनके बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी. उन्होंने कहा था कि 75 की उम्र बधाई की नहीं, विदाई की होती है. इस बयान को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी क्योंकि सितंबर 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत दोनों ही 75 वर्ष के हो जाएंगे. पीएम मोदी का जन्मदिन 17 सितंबर को और भागवत का जन्मदिन 11 सितंबर को है.
भागवत ने अपने हालिया बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने केवल संघ विचारक मोरोपंत पिंगले के विचारों का उल्लेख किया था. इसका अर्थ यह नहीं कि वे खुद रिटायर होंगे या किसी को ऐसा करने के लिए कहेंगे. उन्होंने कहा कि संघ में जिम्मेदारियां दी जाती हैं और जब तक संगठन चाहे, कोई भी व्यक्ति सक्रिय रह सकता है, भले ही वह 80 वर्ष का क्यों न हो.
संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि जीवन में रिटायरमेंट का कोई निश्चित नियम नहीं है. यह व्यक्ति की इच्छा और क्षमता पर निर्भर करता है. अगर कोई स्वस्थ है और संगठन को उसकी जरूरत है, तो वह योगदान देता रह सकता है.
उनके इस बयान को राजनीतिक रूप से भी अहम माना जा रहा है क्योंकि कई दलों में 75 साल की उम्र के बाद नेताओं को सक्रिय राजनीति से दूर रहने की परंपरा पर चर्चा होती रही है. लेकिन भागवत ने साफ कर दिया कि संघ में ऐसा कोई नियम नहीं है और काम करने की इच्छा व क्षमता ही असली कसौटी है.