उज्जैन शहर के लिए पेयजल आपूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत गंभीर डैम पूरी तरह से लबालब भर गया है। डैम की जलसंचयन क्षमता 2250 एमसीएफटी है और अब यह पूरी तरह भर चुका है। पानी की अधिकता के कारण इसका एक गेट खोला गया है। इस खबर से शहरवासियों को बड़ी राहत मिली है क्योंकि अब कम से कम छह महीने तक नियमित जल प्रदाय सुनिश्चित रहेगा।
गंभीर डैम भरने में इंदौर के यशवंत सागर बांध से छोड़े गए पानी की बड़ी भूमिका रही। वहां के गेट खोले जाने के बाद लगातार पानी गंभीर डैम में पहुंचता रहा और अंततः यह अपनी पूरी क्षमता तक भर गया। मानसून की सक्रियता से भी इसमें लगातार आवक बनी हुई है।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का कहना है कि उज्जैन की सात लाख आबादी को सालभर पानी उपलब्ध कराने के लिए लगभग 12180 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है। फिलहाल नगर निगम के पास संग्रहण क्षमता सिर्फ 2361 एमसीएफटी है। इसमें गंभीर डैम 2250 एमसीएफटी, गऊघाट प्लांट 96 एमसीएफटी और साहिबखेड़ी व उंडासा तालाबों में 15.43 एमसीएफटी पानी संग्रहित किया जा सकता है। इन्हीं स्रोतों से पानी खींचकर टंकियों में भरकर पूरे शहर में आपूर्ति की जाती है।
हालांकि, शहर की 450 कॉलोनियों में से 95 कॉलोनियों में अब भी पानी की पाइपलाइन नहीं है। वहां के लोग बोरिंग, कुएं और हैंडपंप पर निर्भर हैं। इस साल 15 अप्रैल से शहर में एक दिन छोड़कर जल प्रदाय किया जा रहा है।
जल संकट से स्थायी राहत के लिए दो बड़ी परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। पहली 614 करोड़ रुपये की सिलारखेड़ी-सेवरखेड़ी बांध योजना, जो शिप्रा नदी को सालभर प्रवाहित रखेगी और गंभीर डैम पर निर्भरता घटाएगी। दूसरी 939 करोड़ रुपये की वाटर ट्रीटमेंट प्लांट परियोजना है, जिससे उज्जैन की जल शोधन क्षमता 151 एमएलडी से बढ़कर 400 एमएलडी तक पहुंच जाएगी। दोनों परियोजनाओं को वर्ष 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस बीच जिले में अब तक 588 मिमी बारिश दर्ज की जा चुकी है, जबकि औसत 906 मिमी है। इसमें सबसे ज्यादा वर्षा तराना तहसील में 777 मिमी दर्ज हुई है। गंभीर डैम भरने से फिलहाल शहर की पेयजल समस्या काफी हद तक कम हो गई है और लोगों को राहत की सांस मिली है।