राजस्थान: उदयपुर कि सिविल डिफेन्स और एसडीआरफ कि टीम ने लगातार कई दिनों तक कड़ी मशक्क़त करते हुए चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित राशमी नदी में पाँच दिन पहले बहे एक परिवार की मारुति वैन में से लापता हुई बच्ची का पता आखिरकार लगा लिया गया है. बच्ची का शव घटना स्थल से करीब 18 किलोमीटर दूर मिला. यह रेस्क्यू ऑपरेशन उदयपुर की SDRF, चित्तौड़गढ़ सिविल डिफेंस और उदयपुर सिविल डिफेंस की टीमों ने मिलकर चलाया.
हादसे के चार दिन बाद उदयपुर सिविल डिफेंस को वापस बुला लिया गया था, क्योंकि उदयपुर के सलूंबर और ऋषभदेव में भी लोगों के नदी और तालाब में डूबने की खबरें आ रही थीं. हालाँकि, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर की टीमों का सर्च ऑपरेशन जारी रहा. पांचवें दिन, उदयपुर SDRF की D5 कंपनी को सफलता मिली. टीम में कमांडर हाकम खान, कांस्टेबल हरिनारायण, मुकेश, धर्मेंद्र, जब्बर सिंह, अनिल, सुनील, और अनूप सिंह शामिल थे. चित्तौड़गढ़ सिविल डिफेंस के 10 जवान और उदयपुर सिविल डिफेंस के कैलाश मेनारिया सहित पांच जवान भी इस ऑपरेशन में मौजूद रहे.
यह दुखद घटना पांच दिन पहले हुई थी जब एक परिवार गूगल मैप के सहारे राशमी नदी पार कर रहा था और उनकी मारुति वैन पानी के तेज बहाव में बह गई. इस हादसे में एक बच्ची लापता हो गई थी. बच्ची को ढूंढने के लिए टीमों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. इसका एक बड़ा कारण मातृकुंडिया बांध के 10 गेटों को डेढ़ फीट तक खोलना था, जिससे नदी में पानी का बहाव बहुत बढ़ गया था.
बावजूद इसके, उदयपुर SDRF और सिविल डिफेंस की टीमों ने हार नहीं मानी और लगातार पांच दिनों तक तलाशी अभियान चलाया. आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई और बच्ची का शव मिलने से परिवार और प्रशासन को कुछ राहत मिली. यह रेस्क्यू ऑपरेशन इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे आपदा के समय अलग-अलग जिलों की टीमें मिलकर काम करती हैं और लोगों की मदद करती हैं.
इस दुखद घटना से यह भी सबक मिलता है कि बारिश के मौसम में नदी-नालों को पार करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और गूगल मैप जैसे नेविगेशन के भरोसे नहीं रहना चाहिए.