केरल-तमिलनाडु में एक पीला फूल जो इंसानों और जंगली जानवरों में करवा रहा लड़ाई… 

दक्षिण भारत के जंगलों में एक हरित क्रांति ने तबाही मचा दी है. 1980 के दशक में दक्षिण अमेरिका से लाई गई सेन्ना स्पेक्टाबिलिस (Senna spectabilis) नाम का यह पेड़-पौधा, जो छाया, सौंदर्य और ईंधन के लिए लगाया गया था. अब एक घातक आक्रामक प्रजाति बन चुका है

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यह नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व (Nilgiri Biosphere Reserve) में फैल गया है, जहां यह मूल पौधों को दबा रहा है. मिट्टी के रसायन को बदल रहा है. वन्यजीवों का भोजन छीन रहा है. केरल के वायनाड वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी (Wayanad Wildlife Sanctuary) में भारत का पहला विज्ञान-आधारित, समुदाय-नेतृत्व वाला सफाई अभियान चलाया, जिसमें 383 एकड़ संक्रमित जंगल साफ हो चुके हैं.

एक समुद्री इंजीनियर द्वारा डिजाइन किए गए हल्के उखाड़ने वाले उपकरण ने बड़े पैमाने पर सफाई संभव बनाई. वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि सेन्ना का आक्रमण वायनाड, बांदीपुर और मुदुमलाई में मानव-वन्यजीव संघर्ष को बढ़ा रहा है.

सेन्ना स्पेक्टाबिलिस: एक चमत्कार से आपदा तक

सेन्ना स्पेक्टाबिलिस, जिसे कैल्सियोलारिया शावर या गोल्डन वंडर ट्री भी कहते हैं. दक्षिण अमेरिका की मूल प्रजाति है. 1980 के दशक में इसे भारत लाया गया, क्योंकि यह तेजी से बढ़ता है. पीले फूलों से सुंदर लगता है. केरल के राज्य फूल कनिकोन्ना (Cassia fistula) से मिलता-जुलता होने से वन अधिकारियों ने इसे छाया, सौंदर्य और लकड़ी के लिए लगाया. लेकिन यह एक बड़ी गलती साबित हुई.

फैलाव का कारण: यह पेड़ 15-20 मीटर ऊंचा होता है. हजारों बीज फैलाता है. कटने पर फिर से उग आता है. इसके घने पत्ते मूल पौधों को दबा देते हैं, मिट्टी की उर्वरता कम करते हैं. पानी के स्रोत सूखा देते हैं. वायनाड में बांस की फूल आने और सूखने से बने खाली स्थान (78.91 वर्ग किमी) में यह घुस गई. अब यह 123.86 वर्ग किमी क्षेत्र में फैल चुकी है.

प्रभाव: मूल घास और पेड़-पौधे खत्म हो रहे हैं, जिससे हिरण, गौर, हाथी जैसे शाकाहारी जानवरों को भोजन नहीं मिल रहा. इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ा, क्योंकि जानवर गांवों में घुस रहे हैं. नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व, जो एशिया का महत्वपूर्ण वन्यजीव कॉरिडोर है. अब जैव विविधता के संकट में है.

ह आक्रामक प्रजाति केरल, कर्नाटक (बांदीपुर, नागरहोल) और तमिलनाडु (मुदुमलाई, सठ्यमंगलम) तक फैल चुकी है. 2010 में केरल वन विभाग ने इसे आक्रामक घोषित किया, लेकिन देरी से नुकसान हो गया.

वायनाड मॉडल: भारत का पहला सफल सफाई अभियान

केरल ने वायनाड वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के थोलपेट्टी रेंज में ‘वायनाड मॉडल’ अपनाया, जो विज्ञान-आधारित  है. यहां 383 एकड़ संक्रमित जंगल साफ हो चुके हैं. 46450 पेड़ उखाड़े गए. जड़ें नष्ट की गईं ताकि फिर न उगें. कुल 560 एकड़ बहाली हो रही है. पहले जहां सेन्ना के घने जंगल में चिड़िया की आवाज नहीं आती थी, अब घास उग आई, जड़ी-बूटियां लौट आईं, चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई दे रही. हाथी का गोबर फिर दिख रहा.

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