सरकार दवाओं और रिसर्च से जुड़े नियमों को और आसान बनाने जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019 में बदलाव का प्रस्ताव रखा है. इसका नोटिफिकेशन 28 अगस्त 2025 को गजट ऑफ इंडिया में जारी हुआ है और आम लोगों से सुझाव मांगे गए हैं.
ये मसौदा नियम 2019 के मौजूदा नियमों को और मजबूत बनाने के मकसद से जारी किया गया है. हालांकि, इस मसौदे को लोगों की प्रतिक्रिया के बाद फाइनल रूप दिया जाएगा. सरकार ने कहा है कि इस पर आपत्तियां और सुझाव अगले 30 दिनों के अंदर भेजी जा सकती हैं. इस प्रस्ताव के तहत अब नई दवा के परीक्षण के लिए अनुमति बेहद जरूरी की गई है.
क्या बदलाव किए जाएंगे?
अब ज्यादातर दवाओं के लिए अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी. सिर्फ सूचना देना काफी होगा. वहीं, हाई-रिस्क कैटेगरी की दवाओं पर ही लाइसेंस जरूरी रहेगा.
टेस्ट लाइसेंस की प्रक्रिया का समय 90 दिन से घटाकर 45 दिन कर दिया जाएगा.
कुछ कैटेगरी की बायोअवेलेबिलिटी/बायोइक्विवेलेंस (BA/BE) स्टडी के लिए अब लाइसेंस नहीं लेना होगा. सिर्फ सूचना देने के बाद ही स्टडी शुरू की जा सकेगी.
क्यों फायदेमंद हैं ये बदलाव?
यह प्रस्ताव कई मायने में अहम माना जा रहा है. इससे लाइसेंस की फाइलें लगभग 50% तक कम होंगी. नई दवाओं पर रिसर्च और ट्रायल जल्दी शुरू होंगे. साथ ही दवा मंजूरी की प्रक्रिया तेज होगी. CDSCO (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन) अपने संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल कर पाएगा. सरकार का कहना है कि इन सुधारों से भारत दुनिया में दवाओं और क्लिनिकल रिसर्च का बड़ा केंद्र बनेगा और भारतीय फार्मा इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी.
सुझाव के लिए 30 दिन का समय
इस प्रस्ताव पर दवा कंपनी, शोधकर्ता या आम नागरिक से सुझाव मांगे गए हैं. सुझाव देने के लिए उन्हें 30 दिन का समय दिया गया है. इन 30 दिनों में वो इस प्रस्ताव पर अपनी राय दे सकते हैं. इसकी खामियां और खूबियां, क्या और बदलाव किए जा सकते हैं यह बता सकते हैं. यह पहल दिखाती है कि सरकार इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों और आम लोगों की राय लेकर एक आसान और व्यवस्थित प्रक्रिया बनाना चाहती है.