औरंगाबाद: न गली हुई पक्की न नाली का निर्माण, ग्रामीणों ने प्रखंड मुख्यालय का किया घेराव 

औरंगाबाद: कुटुंबा प्रखंड क्षेत्र के सूही पंचायत अंतर्गत चनकप गांव के सैकड़ो लोगों ने नाली और गली निर्माण की मांग को लेकर बुधवार को प्रखंड मुख्यालय का घेराव किया और कार्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार को जाम अधिकारियों एवं आम लोगों का आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया. हालांकि, कार्यालय के एक अन्य द्वार से आवागमन होता रहा. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि वे विगत कई वर्षों से नाली की से जूझ रहे है. निकास न होने के कारण गांव के बीच मुख्य सड़क पर नाली के पानी का जमाव हो गया है. हालत इतनी बदतर हो गई है कि गंदे पानी के जमाव के कारण आसपास के घरों में लोगों का रहना मुश्किल हो गया है. गंदे पानी से उसकी दुर्गंध से बीमारियां फैलने लगी है. उन्होंने बताया कि अभी भी गांव में डेंगू से तीन लोग ग्रसित है. उक्त गांव के रहने वाले प्रेम कुमार ने बताया कि गांव के लोग गंदे पानी से होकर दुर्गा मंदिर तक जाने के लिए विवश है जिससे श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही है. नाली निर्माण के लिए ग्रामीणों ने जिलाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, सांसद, विधायक, मुखिया और प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी आवेदन दिया था, परन्तु अब तक नाली का निर्माण नहीं हो पाया. अंततः थक-हार कर ग्रामीणों ने प्रदर्शन का मार्ग अपनाया है. कई घंटे तक प्रदर्शन करने के पश्चात प्रदर्शनकारियों के शिष्टमंडल ने प्रखंड विकास पदाधिकारी आदर्श कुमार नंदा से मुलाकात की. बीडीओ ने बताया कि विगत 28 अगस्त को ग्रामीणों ने प्रखंड कार्यालय में आवेदन दिया था। योजना का एस्टीमेट बन गया है. दस दिनों के अंदर नाली निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा. बीडीओ के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने प्रदर्शन समाप्त कर दिया।

पंचायत में नहीं होती आमसभा – 

प्रदर्शन में शामिल वार्ड सदस्य कामेश्वर मेहता ने बताया कि पंचायत में आम सभा के माध्यम से योजनाओं का चयन नहीं किया जाता है. उन्होंने मुखिया मंजीत यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में एक भी आम सभा नहीं किया है. फर्जी तरीके से रजिस्टर पर साइन करा कर आमसभा का कोरम पुरा कर लिया जाता है. मुखिया का कहना है कि वार्ड संख्या एक, दो और तीन के लोगों ने मुझे वोट नहीं दिया है इसलिए मैं उस जगह पर विकास का कोई काम नहीं करूंगा. वहीं प्रदर्शन कर रहे वार्ड संख्या तीन के वार्ड सदस्य विजय कुमार मेहता ने बताया कि पंचायत के तेरह वार्ड सदस्यों ने मुखिया को पचासों बार नाली निर्माण के लिए कहा परंतु उन्होंने काम करने से स्पष्ट मना कर दिया और कहा कि आपको जहां जाना है जाइए आपके यहां विकास का कोई काम नहीं होगा.

गांव की असुविधाएं खोल रही है विकास के दावों की पोल –

त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के कई दशक बीत गए परंतु कुटुंबा प्रखंड क्षेत्र का विकास कागजों में सिमट कर रह गया है. अधिकारियों द्वारा विकास के बड़े-बड़े दावे पेश किए जाते है परंतु हकीकत यह है कि हर वर्ष करोड़ों रूपये खर्च करने के बावजूद प्रखंड क्षेत्र में आदर्श पंचायत तो दूर एक आदर्श गांव भी नहीं बन पाया है. हर पंचायत में ऐसे कई गांव हैं जो नाली और गली जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे है. गौरतलब है कि सरकार विकास के लिए पैसे आबंटित कर रही है, पैसे खर्च भी हो जा रहे हैं परंतु गांवों का समुचित विकास तो दूर मूलभूत सुविधाएं भी पुरी नहीं हो पा रही है. कई समाजसेवियों ने बताया कि इसका सीधा संबंध योजनाओं के चयन प्रक्रिया से जुड़ा है. योजनाओं के चयन को लेकर वार्ड सदस्य और ग्रामीण प्रखंड कार्यालय में कई बार शिकायत कर चुके है. उनका कहना है कि योजनाओं का चयन आम सभा या ग्राम सभा लगाकर नहीं किया जाता है. जनप्रतिनिधि फर्जी तरीके से कागजों पर आम सभा का कोरम पूरा कर लेते हैं और मनमाने तरीके से उन योजनाओं का चयन किया जाता है जिनमें जनप्रतिनिधियों के व्यक्तिगत और राजनैतिक फायदे होते हैं. विकास के मामले में पिछड़े होने के कारण कुटुंबा प्रखंड का चयन आकांक्षी प्रखंड के रूप में किया गया है. सरकार क्षेत्र के विकास के लिए विशेष पैकेज मुहैया करा रही है, परंतु आने वाला समय ही बताएगा कि आकांक्षी प्रखंड के रूप में कुटुंबा प्रखंड का चयन आम जन के लिए कितना लाभकारी होगा. क्योंकि जिस उद्देश्य से त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी वह उद्देश्य कुटुंबा प्रखंड क्षेत्र में पूरा होते नहीं दिख रहा है.

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