डार्क चॉकलेट को लेकर सोशल मीडिया पर अक्सर दावे किए जाते हैं कि यह सेहत के लिए फायदेमंद होती है और इसे बिना गिल्ट के खाया जा सकता है। लोग इसे हेल्दी डाइट का हिस्सा मानकर रोजाना इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन क्या वाकई डार्क चॉकलेट उतनी ही सेहतमंद है, जितना बताया जाता है? डॉक्टरों का कहना है कि इसमें फायदे जरूर हैं, लेकिन अधिक सेवन नुकसानदेह भी साबित हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, डार्क चॉकलेट में कोको की मात्रा अधिक होती है, जो एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। ये एंटीऑक्सीडेंट्स दिल की सेहत सुधारने, ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने और मूड बेहतर बनाने में मददगार होते हैं। यही वजह है कि कई शोधों में सीमित मात्रा में डार्क चॉकलेट खाने को लाभकारी बताया गया है।
हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि लोग अक्सर “हेल्दी” टैग के कारण इसकी मात्रा पर ध्यान नहीं देते। डार्क चॉकलेट में शुगर और फैट भी होता है, जो वजन बढ़ाने और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद कैफीन की अधिकता नींद में खलल डाल सकती है और हार्ट रेट भी बढ़ा सकती है।
पोषण विशेषज्ञों का सुझाव है कि डार्क चॉकलेट का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। रोजाना 20 से 30 ग्राम से ज्यादा खाना शरीर के लिए भारी पड़ सकता है। खासतौर पर जिन लोगों को शुगर, ब्लड प्रेशर या हृदय संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें इसे खाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
चिकित्सकों का यह भी कहना है कि डार्क चॉकलेट तभी फायदेमंद है जब इसमें कोको की मात्रा 70% या उससे अधिक हो। मार्केट में मिलने वाली कई चॉकलेट्स में कोको कम और शुगर-फैट ज्यादा होता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
यानी डार्क चॉकलेट को हेल्दी मानकर बिना सोचे-समझे खाना सही नहीं है। संतुलित मात्रा में इसका सेवन सेहत के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन ओवरडोज शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकती है। इसलिए इसे गिल्ट-फ्री मिठास मानने से पहले सीमित सेवन का ध्यान रखना जरूरी है।