दमोह : जिले से एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है. नगर पालिका में कचरा संग्रह की जिम्मेदारी संभाल रहे दो कर्मचारी ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में धुत पाए गए. यह घटना बालाकोट रोड स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड के पास की बताई जा रही है.
मामला तब सुर्खियों में आया जब एक राहगीर ने इस पूरी घटना को अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि नगर पालिका का एक कर्मचारी कचरा वाहन की स्टीयरिंग पर ही नशे में बेसुध होकर सो रहा है.वहीं दूसरा कर्मचारी सड़क पर बिखरा पड़ा मिला. यह दृश्य देखकर वहां से गुजरने वाले लोग हैरान रह गए. किसी ने तुरंत इस वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा कर दिया. देखते ही देखते यह वीडियो वायरल हो गया और नगर पालिका प्रशासन हरकत में आया.
नगर पालिका में संविदा पर तैनात इन कर्मचारियों में वाहन चालक बृजेश और उनका साथी शैलेंद्र शामिल हैं. ये दोनों ड्यूटी के दौरान ही नशे में पाए गए. इस लापरवाही ने नगर पालिका की छवि को गहरा धक्का पहुंचाया है.
वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी राजेंद्र लोधी ने मामले को गंभीरता से लिया. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग प्रभारी को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए. साथ ही दोनों कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
सीएमओ राजेंद्र लोधी ने इस घटना को गंभीर अनुशासनहीनता करार दिया है. उन्होंने कहा कि नगरीय प्रशासन की साख और छवि पर इस तरह की घटनाएँ धब्बा लगाती हैं। लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैये को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक समिति का गठन किया जा रहा है. जांच पूरी होने के बाद दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
स्थानीय लोगों का कहना है कि कचरा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण काम में लगे कर्मचारी ही यदि शराब के नशे में ड्यूटी करेंगे तो शहर की स्वच्छता व्यवस्था कैसे संभलेगी. यह केवल अनुशासनहीनता ही नहीं बल्कि जनता के साथ सीधा धोखा है.
गौरतलब है कि दमोह नगर पालिका में कई बार कर्मचारियों की लापरवाही और अनियमितताओं को लेकर सवाल उठते रहे हैं. लेकिन इस बार का मामला बेहद गंभीर है क्योंकि यह जनता के सामने उजागर हुआ और उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गईं.
नगर प्रशासन का कहना है कि किसी भी स्थिति में ऐसे मामलों को दोहराया नहीं जाने दिया जाएगा. यदि कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई तय है.
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर निगरानी कितनी प्रभावी है और क्या ऐसे गैर-जिम्मेदार कर्मचारियों पर समय रहते कार्रवाई हो पाती है या नहीं.