आषाढ़ और सावन में कमजोर मानसून से किसानों की चिंता बढ़ गई थी, लेकिन भादो माह में आसमान से जमकर मेहरबानी हुई। पूरे महीने कभी तेज तो कभी बूंदाबांदी के रूप में लगातार बारिश होती रही। इस बार भादो ने रिकॉर्ड तोड़ बारिश दी है, जिससे खेतों की प्यास बुझी और धान की फसल लहलहा उठी।
आषाढ़-सावन की कमी पूरी की भादो ने
जिले में इस साल मानसून की शुरुआत कमजोर रही थी। आषाढ़ और सावन माह में औसत से कम बारिश दर्ज की गई, जिसके चलते गंगरेल बांध से सिंचाई पानी छोड़ने की मांग तेज हो गई थी। किसानों को सूख रही फसल देखकर बड़ी चिंता सताने लगी थी। लेकिन भादो माह ने राहत की सौगात दी। तीन सितंबर की रात से लेकर चार सितंबर को दिनभर रुक-रुककर हुई खंड वर्षा ने खेतों को तर कर दिया। अर्जुनी और रूद्री रोड क्षेत्र में अच्छी बारिश दर्ज की गई, जबकि कुछ इलाकों में बूंदाबांदी ही हुई।
धान फसल के लिए वरदान साबित हो रही बारिश
लगातार हो रही वर्षा से धान की फसल को नया जीवन मिला है। खेतों में पानी भरने से पौधों की प्यास बुझ चुकी है। अधिकांश खेतों में धान की फसल तैयार है और अब जल्द ही बालियां निकलने वाली हैं। किसान उम्मीद जता रहे हैं कि इस बार उत्पादन अच्छा होगा। बारिश की इस निरंतरता ने किसानों की चिंता को खुशी में बदल दिया है।
पिछले साल से अधिक हुई वर्षा
भू-अभिलेख शाखा से मिली जानकारी के अनुसार, इस साल एक जून से चार सितंबर तक जिले में औसतन 825 मिमी बारिश दर्ज की गई है। यह पिछले साल इसी अवधि में दर्ज 802 मिमी बारिश से 23 मिमी अधिक है। आंकड़े बताते हैं कि भादो माह ने इस अंतर को ही नहीं भरा, बल्कि अतिरिक्त पानी भी दिया।
तहसीलवार बारिश का हाल
इस साल जिले की सबसे अधिक बारिश कुकरेल तहसील में 1148 मिमी दर्ज की गई है। वहीं, सबसे कम वर्षा मगरलोड तहसील में 632 मिमी रही। धमतरी तहसील में 966 मिमी, कुरूद में 774 मिमी और नगरी तहसील में 804 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इसके अलावा भखारा में 723 मिमी और बेलरगांव तहसील में 731 मिमी बारिश हुई है। आंकड़ों से साफ है कि भादो की बरसात ने जिले की स्थिति को संतुलित किया और धान की फसल को संजीवनी दी।