दुर्ग के स्कूल में तंत्र-मंत्र का हंगामा: प्रिंसिपल ऑफिस के सामने कोयल की बलि, VIDEO वायरल

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के सरकारी स्कूल में तंत्र-मंत्र करने के बाद कोयल की बलि दी गई। सुबह स्कूल खुलते ही प्रबंधन और बच्चे खून से सना पक्षी, नींबू और सिंदूर देख दहशत में आ गए। प्रिंसिपल ऑफिस के ठीक सामने तंत्र क्रिया की गई थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

यह मामला बोरसी थाना क्षेत्र के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का है। मामले की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। पुलिस आसपास लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाल रही है। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस कृत्य के पीछे किसका हाथ है और उसका मकसद क्या था।

वहीं शिक्षकों ने भी टोटके की काट के लिए बैगा को बुलाया और पूजा करवाई। इस मामले पर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी राजेश्वरी चन्द्राकर ने कहा कि सुबह से ही शरारती तत्वों ने इस घटना को अंजाम दिया है। यह सब अंधविश्वास फैलाने की कोशिश है।

अब जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल, गुरुवार सुबह बच्चों ने देखा कि किसी ने स्कूल परिसर में काला जादू का तांत्रिक चिह्न बनाकर तंत्र मंत्र किया है। परिसर से नींबू, मृत पक्षी और सिंदूर भी मिला। प्रिंसिपल रूम के सामने बरामदे में एक रांगोलीनुमा आकृति बनी हुई थी। जिसके अंदर तांत्रिक-जैसे चिन्ह उकेरे गए थे। इसमें कोयल को काटकर चढ़ाया गया था।

टोटके की काट के लिए बुलाया बैगा

इस घटना से शिक्षक, छात्र और परिजन घबरा गए। वहीं घटना की सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंची। पानी डालकर उस रंगोली को मिटाया गया। इसके अलावा डरे हुए शिक्षकों ने भी स्कूल में बैगा बुलवा कर पूजा करवाई। बैगा ने अगरबत्ती, कपूर जला और सिंदूर से टोटके की काट का दावा किया। टीचर्स ने बैगा को इसके लिए भुगतान किया।

घटना के बाद छात्र-छात्राएं सहमे

कई बच्चों ने डर से कक्षाओं में जाने से भी मना कर दिया। वहीं, पेरेंट्स भी अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित नजर आए। शिक्षकों का कहना है कि इस तरह की हरकतें अंधविश्वास फैलाने और माहौल खराब करने की कोशिश है। पुलिस का कहना है कि जांच के बाद आरोपी को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी।

जानिए BEO ने क्या कहा?

दुर्ग की ब्लॉक शिक्षा अधिकारी राजेश्वरी चन्द्राकर ने कहा कि सुबह से ही शरारती तत्वों ने इस घटना को अंजाम दिया है। इसकी जानकारी स्कूल के शिक्षक ने उन्हें दी थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सब अंधविश्वास फैलाने की कोशिश है, जिस पर ध्यान नहीं देना चाहिए। प्राचार्य कक्ष के बाहर ही इस तरह की स्थिति बनाई गई है।

उद्देश्य बच्चों और शिक्षकों को डराने का है, ताकि वे स्कूल न आएं। लेकिन हमें इसे तूल नहीं देना है। सभी को समझा दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि बच्चे बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं, इसलिए आवश्यक है कि उन्हें शांत रखा जाए और पढ़ाई का वातावरण बाधित न होने दिया जाए।

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